सीजी भास्कर 14 नवम्बर बिहार की राजनीति में इस बार की वोट गिनती सिर्फ सीटों का हिसाब नहीं, बल्कि कई सियासी घरानों की प्रतिष्ठा की सबसे कठिन परीक्षा मानी जा रही है। Bihar Assembly Results Analysis के बीच कई नाम ऐसे हैं जिन्हें अपने परिवार की दशकों पुरानी विरासत को बचाने की चुनौती मिली है—और शुरुआती रुझान दिखाते हैं कि तस्वीर आसान बिल्कुल नहीं।
Political Dynasties Under Pressure — राजनीतिक घरानों की असली परीक्षा
इस चुनाव में लगभग हर बड़े दल ने अपने दिग्गज नेताओं के बेटे, बेटियों या रिश्तेदारों को मैदान में उतारा। पांच पूर्व मुख्यमंत्रियों के परिवार, कई पूर्व सांसदों की संताने, और पुराने सियासी घरानों के वारिस इस रेस में हैं।
रुझानों की शुरुआती तस्वीर देखते ही साफ हुआ कि यह चुनाव Political Dynasty Pressure का भी इम्तिहान है।
राघोपुर और महुआ का झटका — तेजस्वी-तेज प्रताप दोनों मुश्किल में
राघोपुर सीट पर बड़ा उलटफेर दिखा, जहाँ तेजस्वी यादव 1200 से ज्यादा वोटों से पीछे चल पड़े। यह वही सीट है जिसे लालू परिवार ने वर्षों तक मजबूती से संभाला है।
इधर महुआ से तेज प्रताप यादव तीसरे नंबर पर खिसक गए, जबकि लोजपा के संजय कुमार सिंह ने अच्छी-खासी बढ़त बना ली।
दोनों भाइयों का संघर्ष यह बताता है कि इस बार मुकाबला सिर्फ राजनीतिक नहीं बल्कि Legacy Challenge भी है।
समस्तीपुर की मोरवा सीट — जागृति ठाकुर चौथे नंबर पर गिर गईं
पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की पोती जागृति ठाकुर के लिए चुनाव बिल्कुल उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा। तीन राउंड की गिनती के बाद उनके खाते में सिर्फ 387 वोट आए और वह चौथे स्थान पर खिसक गईं।
आरजेडी के रणविजय साहू यहाँ लगातार आगे हैं।
झंझारपुर में नीतीश मिश्रा का दबदबा — बड़ी बढ़त कायम
पूर्व CM जगन्नाथ मिश्रा के बेटे नीतीश मिश्रा झंझारपुर से भारी अंतर से आगे हैं। शुरुआती रुझानों में जो बढ़त बनी थी, वह बाद के राउंड में और मजबूत हुई।
इस सीट पर मुकाबला शुरू से ही दिलचस्प माना गया था, लेकिन Bihar Assembly Results Analysis में यहां की तस्वीर काफी साफ दिख रही है।
जोकीहाट में भाई बनाम भाई — दोनों पूर्व MP के बेटे पीछे
सीमांचल की चर्चित जोकीहाट सीट इस बार दो सगे भाइयों के बीच भिड़ंत के कारण सुर्खियों में रही।
पूर्व केंद्रीय मंत्री तस्लीमुद्दीन के बेटे—सरफराज आलम (जन सुराज) और शाहनवाज आलम (आरजेडी)—दोनों ही शुरुआती गिनती में पिछड़ गए।
जेडीयू प्रत्याशी मंज़ार आलम ने बढ़त बना ली है। इस सीट पर मुकाबला हमेशा भावनात्मक रहा है और इस बार यह Family Rivalry के रूप में और गहरा गया।
जीतनराम मांझी परिवार — तीन सदस्य मैदान में, तीनों के सामने कड़ी चुनौती
पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के परिवार से इस बार तीन सदस्य चुनाव में हैं—बहू दीपा कुमारी (इमामगंज), समधन ज्योति देवी (बाराचट्टी), और दामाद प्रफुल्ल कुमार मांझी (सिकंदरा)।
तीनों सीटों पर मुकाबला बेहद टेढ़ा है और रुझान साफ तस्वीर अभी नहीं दे रहे।
श्रेयसी सिंह और राणा रणधीर — अपने-अपने क्षेत्रों में बनाए रफ्तार
जमुई से श्रेयसी सिंह, जो शूटिंग में भारत का नाम रोशन कर चुकी हैं, अच्छी बढ़त बनाए हुए हैं।
मधुबन सीट से राणा रणधीर—पूर्व विधायक सीताराम सिंह के बेटे—भी स्थिर लीड में दिख रहे हैं।
पासवान परिवार और अन्य दिग्गज — लंबी सूची साख बचाने में लगी
चिराग पासवान के नेतृत्व वाले दल से सीमांत मृणाल मैदान में हैं, वहीं सासाराम से स्नेहलता भी किस्मत आजमा रही हैं—वह राज्यसभा सांसद उपेंद्र कुशवाहा की पत्नी हैं।
कुल मिलाकर चुनावी मैदान में ऐसे चेहरों की भरमार है जिनकी पहचान पहले परिवार से शुरू होती है और फिर राजनीति से।
Bihar Assembly Results Analysis — सियासी विरासत की सबसे कठिन परीक्षा
इस बार का चुनाव सिर्फ सत्ता की नहीं बल्कि बिहार की सियासी वंश परंपरा की कठिनतम परीक्षा बन गया है।
कई बड़े नाम जहां आसानी से आगे बढ़ रहे हैं, वहीं कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें जनता ने उलटफेर के दरवाज़े पर खड़ा कर दिया है।
कौन अपनी सीट बचा पाएगा और कौन अपनी राजनीतिक विरासत? यह तस्वीर अब गिनती के हर अगले राउंड के साथ बदल रही है।
