सीजी भास्कर, 5 जुलाई | Bihar school principal beats students : बिहार की शिक्षा व्यवस्था एक बार फिर सवालों के घेरे में है। सारण जिले के आदर्श मध्य विद्यालय, गड़खा में प्रधानाध्यापक ने करीब डेढ़ दर्जन छात्राओं को बेरहमी से पीट डाला। तीन छात्राएं गंभीर रूप से घायल होकर बेहोश हो गईं। यह शर्मनाक घटना न सिर्फ विद्यालय की गरिमा को कलंकित करती है, बल्कि छात्राओं की सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य पर भी गंभीर चिंता खड़ी करती है।
तीन छात्राएं गंभीर, अस्पताल में भर्ती
घटना के बाद तीन छात्राओं की स्थिति इतनी गंभीर थी कि उन्हें सदर अस्पताल रेफर किया गया।
स्थानीय प्रशासन ने समय रहते कार्रवाई की और प्रधानाध्यापक मनोज कुमार सिंह को हिरासत में ले लिया है।
क्या हुआ था विद्यालय में?
एक वर्ग के कुछ छात्र दरवाजे पर जोर से धक्का मारकर भाग गए।
शोर सुनकर प्रधानाध्यापक गुस्से में आग-बबूला हो गए।
छात्रों के न मिलने पर उन्होंने छात्राओं को दौड़ा-दौड़ाकर बांस और डंडों से पीटना शुरू कर दिया।
इस बर्बरता में तीन बच्चियां मौके पर ही बेहोश हो गईं।
गांव में आक्रोश, शिक्षकों को बनाया बंधक
जैसे ही घटना की सूचना अभिभावकों और ग्रामीणों को मिली, भीड़ स्कूल पहुंच गई।
मेन गेट में ताला जड़ दिया गया और शिक्षकों को कमरे में बंधक बना लिया गया।
एचएम खुद को अपने घर में छुपा लिया, लेकिन पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया।
प्रशासनिक दबाव के बाद निकाले गए शिक्षक
प्रखंड विकास अधिकारी, अंचलाधिकारी और अनुमंडल पदाधिकारी मौके पर पहुंचे।
शिक्षा विभाग के डीपीओ के साथ मिलकर उन्होंने ग्रामीणों को समझाया।
इसके बाद शिक्षकों को पुलिस सुरक्षा में बाहर निकाला गया और थाने ले जाया गया।
अब सवाल उठते हैं…
जब स्कूल छात्रों के लिए सबसे सुरक्षित जगह माना जाता है, तो वहां ये बर्बरता क्यों?
क्या ऐसे मानसिकता वाले व्यक्ति को शिक्षा व्यवस्था में जगह मिलनी चाहिए?
क्या शिक्षा विभाग मनोरोग जांच या व्यवहारिक मूल्यांकन जैसे कदमों पर विचार करेगा?
आवाज़ उठाने का समय है
यह सिर्फ एक घटना नहीं, यह पूरे सिस्टम के लिए आईना है।
जरूरत है कि:
स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा के मानक तय हों
शिक्षकों के चयन में भावनात्मक बुद्धिमत्ता का मूल्यांकन हो
और हर ऐसी घटना के लिए ज़ीरो टॉलरेंस नीति अपनाई जाए।