सीजी भास्कर, 05 नवंबर। एक मामूली सी डांट ने परिवार को हमेशा के लिए तोड़ दिया। देर रात मोबाइल (Bilaspur Student Suicide) चलाने पर नाराज बड़ी बहन ने छोटी बहन को समझाया, लेकिन यह समझाना इतनी बड़ी सज़ा बन जाएगा, किसी ने सोचा भी नहीं था। नाराज होकर चौदह साल की छात्रा घर से निकली और कुछ ही मिनटों में छठ घाट पुल से नदी में कूदकर अपनी जान दे दी।
घटना सरकंडा थाना क्षेत्र के राजकिशोर नगर की है। पुलिस के अनुसार, निजी संस्थान में काम करने वाले अरुण कठौते की दो बेटियाँ — चेतना (17) और अदिती (14) — घर में अपने कमरे में थीं। देर रात करीब डेढ़ बजे जब चेतना की नींद खुली, तो उसने देखा कि अदिती मोबाइल चला रही है। उसने बहन को मोबाइल बंद करके सोने के लिए कहा। इसी बात से अदिती नाराज हो गई।
कुछ ही पलों में वह कमरे से बाहर निकली और मुख्य दरवाज़ा खोलकर सड़क की ओर (Bilaspur Student Suicide) भागी। चेतना ने पीछे-पीछे दौड़ते हुए बहन को आवाज दी, लेकिन अदिती नहीं रुकी। कुछ ही देर में वह छठ घाट पुल पर पहुंची और देखते ही देखते नदी में कूद गई।
बड़ी बहन ने अपनी आँखों के सामने यह मंजर देखा और चीख पड़ी। शोर सुनकर मोहल्ले के लोग और परिवार के सदस्य मौके पर पहुँचे। दो युवकों ने नदी में उतरकर छात्रा को बचाने की कोशिश की, लेकिन अंधेरे और गहराई के कारण उसे ढूंढ नहीं पाए। रातभर की मशक्कत के बाद मंगलवार सुबह एसडीआरएफ टीम ने छात्रा का शव नदी से बरामद किया।
सरकंडा टीआई प्रदीप आर्य ने बताया कि छात्रा की मौत को लेकर प्रारंभिक पूछताछ चल रही है। परिवार इस हादसे से सदमे में है। शव का पोस्टमार्टम करवाकर परिजनों को सौंप दिया गया है।
मोबाइल बन रहा बच्चों की ज़िंदगी का खतरा
यह कोई पहला मामला नहीं है जब मोबाइल फोन विवाद ने जान ली हो। पिछले एक वर्ष में ही सरकंडा क्षेत्र (Bilaspur Student Suicide) में तीन से अधिक छात्र-छात्राओं ने इसी वजह से अपनी जान दी है। दिसंबर 2024 में लिंगियाडीह की छात्रा एंजल जैसवानी ने अपने मोबाइल के छीने जाने से नाराज होकर फांसी लगा ली थी।
इसी तरह अगस्त 2024 में सोम जायसवाल, जो सातवीं का छात्र था, ने पिता के मोबाइल न देने पर आत्महत्या कर ली। नवंबर 2024 में पचपेड़ी क्षेत्र के जोंधरा गांव में पांचवीं के छात्र कबीर केंवट ने भाइयों के बीच मोबाइल को लेकर झगड़े के बाद फांसी लगा ली थी।
मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि बच्चों में मोबाइल की लत अब गंभीर मानसिक समस्या का रूप ले रही है। विशेषज्ञों के अनुसार, अभिभावकों को न सिर्फ नियंत्रण रखना चाहिए, बल्कि बच्चों के साथ संवाद और विश्वास का रिश्ता भी बनाए रखना होगा, ताकि ऐसी नौबत ही न आए।
