सीजी भास्कर, 7 नवंबर। कोटक महिंद्रा बैंक को डेढ़ करोड़ रुपये का भुगतान नहीं करने के मामले में न्यायालय ने ठेकेदार को दोषी करार देते हुए तीन माह के साधारण कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही अदालत ने बैंक को 1.51 करोड़ रुपये प्रतिकर राशि अदा करने का आदेश दिया है। यह मामला (Cheque Bounce Case Raipur) से जुड़ा है, जिसमें अदालत ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि ऐसे अपराध बैंकिंग व्यवस्था की विश्वसनीयता को कमजोर करते हैं।
कंपनी एडवोकेट संतोष तिवारी ने बताया कि मामला अभिनव कंस्ट्रक्शन फर्म और उसके अधिकृत प्रतिनिधि सुमन कुमार से संबंधित है। मामले के अनुसार, ठेकेदार फर्म ने 30 दिसंबर 2022 को बैंक के ऋण की अदायगी के लिए 1.35 करोड़ रुपये का चेक जारी किया था, लेकिन बैंक ने जब चेक जमा किया, तो वह ‘अकाउंट ब्लॉक्ड’ टिप्पणी के साथ अनादरित होकर लौटा। इसके बाद बैंक की ओर से 6 जनवरी 2023 को कानूनी नोटिस भेजा गया, लेकिन ठेकेदार ने भुगतान नहीं किया। फलस्वरूप कोटक महिंद्रा बैंक ने न्यायालय में परिवाद दायर किया।
कोर्ट ने कहा, अपराध सिद्ध, सजा जरूरी
प्रकरण की सुनवाई के दौरान अदालत ने अभियुक्त सुमन कुमार (अभिनव कंस्ट्रक्शन फर्म के प्रतिनिधि) को दोषी पाया। न्यायालय ने कहा कि अभियुक्त द्वारा ऋण अदायगी का वादा कर चेक जारी किया गया, परंतु भुगतान न करना परक्राम्य लिखत अधिनियम की धारा 138 के तहत अपराध है। अदालत ने टिप्पणी की कि इस तरह की लापरवाही बैंकिंग प्रणाली में जनता के विश्वास को कमजोर करती है।
तीन माह की जेल, प्रतिकर नहीं देने पर बढ़ेगी सजा
कोर्ट ने अभियुक्त को तीन माह के साधारण कारावास की सजा सुनाई। साथ ही आदेश दिया कि वह बैंक को 1.51 करोड़ रुपये प्रतिकर राशि दे। यदि यह राशि निर्धारित समय में जमा नहीं की जाती, तो अभियुक्त को अतिरिक्त 30 दिन का कारावास भुगतना होगा। यह मामला 2023 से लंबित था, जिसे अब जाकर अदालत ने निपटाया। अदालत ने अभियुक्त की आर्थिक स्थिति और ट्रायल के दौरान उसके सहयोग को ध्यान में रखते हुए यह सजा निर्धारित की। न्यायालय ने कहा कि “भविष्य में ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई जरूरी है, ताकि बैंकिंग व्यवस्था पर लोगों का विश्वास कायम रहे।”
