सीजी भास्कर, 10 दिसंबर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के इतिहास में यह पहली बार होगा जब सत्र रविवार के दिन से शुरू होगा (Chhattisgarh Assembly Sunday Session)। राज्य के गठन के 25 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में यह सत्र प्रतीकात्मक तिथि 14 दिसंबर को रखा गया है। संयोग यह है कि राज्य बनने के बाद पहली बार भी विधानसभा की बैठक 14 दिसंबर 2000 को ही हुई थी। इसीलिए रजत जयंती वर्ष में उसी दिन सत्र प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया है।
चार दिवसीय यह शीतकालीन सत्र (Chhattisgarh Assembly Sunday Session) 17 दिसंबर तक चलेगा और सभी कार्यवाही नवनिर्मित विधानसभा भवन में आयोजित की जाएगी। इस सत्र को ऐतिहासिक माना जा रहा है, क्योंकि यह राज्य की संसदीय परंपरा में एक विशेष जोड़ के रूप में दर्ज होगा ।
पहले दिन प्रश्नकाल नहीं होगा
पहले दिन प्रश्नकाल स्थगित रहेगा और उसकी जगह सरकार ‘छत्तीसगढ़ विज़न 2047’ पर विस्तृत चर्चा सदन में करेगी। इस चर्चा में अगले 25 वर्षों की नीति दिशा, विकास लक्ष्य, आर्थिक ढांचा, प्रशासनिक सुधार, बुनियादी ढांचा, शिक्षा व स्वास्थ्य रोडमैप पेश किया जाएगा।
भविष्य के लिए राज्य की दीर्घकालिक विकास रणनीति का यह पहला औपचारिक प्रस्तुतीकरण होगा।
333 तारांकित, 295 अतारांकित
सदन में विधायकों द्वारा कुल 628 प्रश्न लगाए गए हैं। इनमें कानून-व्यवस्था, धान खरीदी, ग्रामीण सड़कें, शहरों की जर्जर सड़कें, राशन वितरण में अनियमितता, स्कूल-स्वास्थ्य ढांचा, परिवहन और प्रशासनिक सेवाओं से जुड़े सवाल शामिल हैं। कई विधायक स्थानीय समस्याओं से जुड़े ध्यानाकर्षण भी लाएंगे।
15 दिसंबर को आएगा अनुपूरक बजट
सत्र के दूसरे दिन 15 दिसंबर को प्रदेश सरकार अनुपूरक बजट पेश करेगी। इसके अलावा निजी विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक, छत्तीसगढ़ भंडार क्रय नियम 2002 में संशोधन तथा दुकान पंजीयन को श्रम विभाग के अधीन लाने का प्रस्ताव भी सदन में रखा जाएगा। 9 दिसंबर से नए विधानसभा भवन में ध्यानाकर्षण व स्थगन प्रस्ताव लागू होंगे। प्रत्येक सदस्य रोज दो ध्यानाकर्षण और एक स्थगन प्रस्ताव दे पाएगा, जबकि पूरे सत्र के लिए 6 ध्यानाकर्षण और 3 स्थगन प्रस्ताव की सीमा निश्चित की गई है ।
यह सत्र सिर्फ तिथि के कारण नहीं, बल्कि राज्य की संसदीय परंपरा के 25 वर्ष पूरे होने के प्रत्यक्ष साक्ष्य के रूप में विशेष माना जा रहा है। राजनीतिक दल आगामी चर्चा में विकास, वित्तीय प्रबंधन, सार्वजनिक सुविधाओं और भविष्य नीति पर खुलकर सवाल उठाएंगे। सभी विधायी गतिविधियों का केंद्र यही सत्र रहेगा — और इसलिए इसे निर्णायक और संवेदनशील माना जा रहा है।


