सीजी भास्कर, 21 नवंबर। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक (Chhattisgarh Mahila Aayog Hearing) ने आज राज्य महिला आयोग कार्यालय, रायपुर में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों की सुनवाई की। आयोग की अध्यक्ष की अध्यक्षता में प्रदेश स्तर पर आज 351वीं एवं रायपुर जिले में 170वीं जनसुनवाई की गई।
आज की सुनवाई में एक प्रकरण में नगर-निगम रायपुर के आयुक्त व उपायुक्त (Raipur Municipal Corporation Case) के खिलाफ आवेदिका ने शिकायत प्रस्तुत की। आवेदिका की मां से बीएसयूपी मकान के एवज में 3 हजार रुपये लिए गए थे, लेकिन 9 वर्ष बीत जाने के बाद भी मकान नहीं दिया गया।
आवेदिका की मां का निधन भी हो चुका है और 2013 में नगर-निगम ने उसका मकान तोड़ दिया था। आवेदिका को आशंका है कि अधिकारियों की मिलीभगत से उसका मकान किसी अन्य को आवंटित कर दिया गया है। इस स्थिति में आयोग ने निर्देश दिया कि सभी अनावेदकों को एसपी रायपुर के माध्यम से उपस्थिति नोटिस भेजा जाए (SP Raipur Action)।
आयोग करेगा पुलिस के माध्यम से तलब
एक प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि कॉलेज प्रबंधन की प्रताड़ना से तंग आकर उसकी बेटी ने आत्महत्या कर ली। कॉलेज प्रबंधन घटना दबाने की कोशिश कर रहा है। आज की सुनवाई में भी अनावेदक पक्ष अनुपस्थित रहा। इस पर आयोग ने निर्देश दिया कि एमिटी यूनिवर्सिटी (Amity University Summon) के सभी पदाधिकारियों को थाने के माध्यम से उपस्थिति कराई जाए।
9 साल से अनुकम्पा नियुक्ति का इंतजार
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि 2016 से अनुकम्पा नियुक्ति के लिए आवेदन कर रही है, लेकिन 9 वर्ष बीत जाने के बाद भी नियुक्ति नहीं दी गई। नगर-निगम अधिकारी सुनवाई में उपस्थित नहीं हुए। आयोग ने फिर से एसपी रायपुर के माध्यम से तलब कराने के निर्देश दिए।
पति-पत्नी साथ रहने राज़ी हुए
एक प्रकरण में आयोग ने उभय पक्ष की विस्तृत काउंसलिंग की। दंपति ने साथ रहने की सहमति दी। आयोग ने निर्देश दिया कि प्रकरण की निगरानी 1 वर्ष तक की जाएगी। एक मामले में आवेदिका विवाह के बाद केवल 20 दिन ससुराल में रही और फिर पति के साथ किराए के मकान में रहने लगी। पति की मां के देहांत के बाद ससुर ने आवेदिका की मौसी से विवाह किया, और 11 माह की उम्र से वही उसे पाल रही थीं। आवेदिका ने सास को सौतेली कहकर 5 वर्ष तक कोई संबंध नहीं रखा, और अब शिकायत कर रही थी। आयोग ने कहा कि इस स्थिति में आवेदिका को सास के खिलाफ शिकायत का अधिकार नहीं है। पति का कोई पता न दिए जाने पर आयोग ने आवेदिका को 1 माह का समय दिया। सास-ससुर को मामले से मुक्त किया गया।
शिक्षा विभाग का मामला, आयोग ने नस्तीबद्ध किया
एक प्रकरण में दोनों पक्ष शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में प्राचार्य रहे थे और विभागीय शिकायतों का दौर जारी था। आयोग ने स्पष्ट किया कि यह मामला कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न कानून के अंतर्गत नहीं आता। दोनों पक्षों को विभागीय स्तर पर समाधान का निर्देश देते हुए प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया।
