सीजी भास्कर, 7 नवंबर। छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh Teacher Suspended News) में शिक्षा व्यवस्था को लेकर आलोचना करने वाले एक शिक्षक को सरकार के खिलाफ टिप्पणी करना भारी पड़ गया। धमतरी जिले के शिक्षक ढालूराम साहू को अपने WhatsApp स्टेटस पर जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के खिलाफ टिप्पणी डालने के कारण जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) अभय कुमार जायसवाल ने तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। शिक्षक ने राज्योत्सव और शासन के कामकाज पर सवाल उठाते हुए कहा था कि बच्चों को अब तक पाठ्यपुस्तकें नहीं मिलीं, ऐसे में शिक्षामंत्री, कलेक्टर और अन्य अधिकारियों का वेतन रोक देना चाहिए।
विरोध की आवाज़, राजनीति में हलचल
कांग्रेस जिलाध्यक्ष शरद लोहाना ने इस निलंबन को अनुचित बताया है। उनका कहना है कि शिक्षक ने बच्चों के भविष्य की चिंता व्यक्त की थी, न कि किसी राजनीतिक बयानबाजी के लिए। उन्होंने कहा कि ढालूराम साहू ने (Chhattisgarh Teacher Suspended News) जैसे मामले के ज़रिए सिर्फ शासन का ध्यान शिक्षा व्यवस्था की खामियों की ओर खींचा था। उन्होंने यह भी जोड़ा कि सरकार ने शिक्षक की आवाज़ दबाने की बजाय उसे सुनना चाहिए था, क्योंकि यह बच्चों की पीड़ा की सच्ची तस्वीर पेश करता है।
सहायक शिक्षक ढालूराम साहू, जो कुरूद ब्लॉक के शासकीय नवीन प्राथमिक शाला नारी में पदस्थ हैं, ने अपने मोबाइल के WhatsApp Status में लिखा था बच्चों की शिक्षा व्यवस्था ठप है और हम राज्योत्सव मनाने चले हैं। क्या हम राज्योत्सव मनाने लायक हैं? जब तक पूरे बच्चों को सारी पुस्तकें नहीं मिल जातीं, तब तक सहायक शिक्षक से लेकर बीईओ, डीईओ, कलेक्टर और शिक्षामंत्री का वेतन रोक देना चाहिए।
उन्होंने आगे लिखा कि गांव के नेताओं को गांव का विकास नहीं चाहिए, उन्हें सिर्फ पार्टी का विकास चाहिए। इस टिप्पणी (Chhattisgarh teacher suspended news) के वायरल होने के बाद जिला शिक्षा अधिकारी ने इस पर तत्काल संज्ञान लिया और शिक्षक को निलंबन आदेश जारी कर दिया।
शिक्षा विभाग की कार्रवाई और नियम
शिक्षक ढालूराम साहू को छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम 1966 के नियम 9(1) और 9(2) के तहत निलंबित किया गया है। आदेश में कहा गया है कि शिक्षक की टिप्पणी शिक्षकीय गरिमा और सेवा आचरण के विरुद्ध है। निलंबन के बाद उनका मुख्यालय विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय, नगरी में नियत किया गया है। इस अवधि में उन्हें केवल जीवन निर्वाह भत्ता (subsistence allowance) ही मिलेगा। विभागीय सूत्रों के अनुसार, सोशल मीडिया पर शासन-विरोधी टिप्पणियों को लेकर अब सतर्कता बढ़ा दी गई है। शिक्षा विभाग ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई की तैयारी में है ताकि भविष्य में कोई शिक्षक सेवा आचरण का उल्लंघन न करे।
इस पूरे घटनाक्रम ने राज्य के शिक्षा तंत्र में हलचल मचा दी है। शिक्षा विभाग का कहना है कि सरकारी सेवक के रूप में सोशल मीडिया पर सार्वजनिक टिप्पणियां अनुशासनहीनता मानी जाएंगी। वहीं, स्थानीय शिक्षकों का कहना है कि अगर बच्चों को समय पर किताबें मिल जातीं, तो ऐसी नौबत ही नहीं आती।
