सीजी भास्कर, 23 जनवरी। कांग्रेस भाजपा या अन्य कोई राजनीतिक दल हो, दुर्ग निगम में मेयर का रुतबा भी सभी पार्टियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होगा। भले ही दुर्ग निगम महापौर पद महिला ओबीसी होने के बाद दोनों ही प्रमुख दलों के पुरुषों में राजनीतिक शून्यता देखने को मिल रही हो लेकिन महिला नेतृत्व होने के चलते कई सशक्त और बहुचर्चित नाम कांग्रेस और भाजपा, दोनो ही पार्टियों में दिखलाई पड़ रहे हैं। एकदम से कोई नई या गैर राजनीतिक महिला को बड़े ओहदे पर लाने से नीतिगत निर्णयों, समस्याओं को समझने-सुलझाने तथा प्रशासनिक कसावट की दृष्टि से कमजोर महिला के चुने जाने का सीधा असर सत्ताधीश राजनीतिक दल को पड़ सकता है इसलिए जन चर्चा है कि राजनीतिक और पारिवारिक पृष्ठभूमि वाली किसी अनुभवी महिला को ही टिकट दिया जाए, ऐसी महिला महापौर के रण में उतरे जिसे निगम का अनुभव तथा चुनाव जीतने के बाद सभी पार्षदों को साथ लेकर चलने की क्षमता हो। दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दलों में मंथन का दौर जारी है, दो दिन के भीतर तमाम समीकरणों के मद्देनजर जीत के लिए अभेद्य दावेदार चुनना और फिर उसे विजयी बनाना जातीय समीकरण में उलझे संगठन और जनप्रतिनिधियों के लिए अच्छों में अच्छा चुनना टेढ़ी खीर जरूर है लेकिन दिन रात लगातार हो रही बैठकें और उलझते सुलझते सवाल यह बता रहे हैं कि दो दिन के भीतर महापौर प्रत्याशी का चयन कांग्रेस और भाजपा कर ही लेगी।

आपको बता दें कि दुर्ग महापौर का पद ओबीसी महिला के लिए आरक्षित होने के बाद कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों में प्रत्याशी चयन को लेकर अंदरूनी तौर पर जमकर मंथन शुरू हो गया है। दोनों पार्टियों में ओबीसी महिलाओं में नए पुराने चेहरों को मिला कर देखा जाए तो गिने चुने चेहरे ही सामने आ रहे हैं। खबर है कि भारतीय जनता पार्टी ओबीसी वर्ग के सबसे बड़ी संख्या वाले साहू समाज में महापौर प्रत्याशी के लिए संभावनाएं तलाश रही है। इसका अहम कारण यह भी है कि भाजपा संगठन में दुर्ग जिले में सांसद और एक विधायक कुर्मी समाज से हैं, यादव समाज से भी विधायक हैं। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी पर बड़ा दबाव है कि वो जिले में साहू समाज से ही महापौर प्रत्याशी बनाए जबकि कांग्रेस पार्टी में ऐसी कोई प्रभावशाली नेत्री नहीं है, जो साहू समाज से ताल्लुक रखती हो। आम आदमी पार्टी और अन्य दल तीसरी शक्ति बनने जोर लगा रहे हैं, दोनों ही पार्टी से टिकट न मिलने पर बागी बने दमदार जनप्रतिनिधियों के लिए भी रास्ते खुले होने की पूरी गुंजाइश दुर्ग में नजर आ रही है।

एक चर्चा यह भी कांग्रेस गलियारे से आ रही है कि लोकसभा में साहू समाज का प्रत्याशी देने के बावजूद कांग्रेस को अपेक्षाकृत समर्थन साहू समाज का नहीं मिल सका इसीलिए कांग्रेस पार्टी साहू समाज से निराश दिखती है चूँकि साहू समाज का झुकाव स्पष्ट रूप से भाजपा की तरफ रहा है, ऐसे में कांग्रेस कुर्मी और यादव समाज में संभावनाएं तलाश रही है।

महापौर के लिए भाजपा में वैसे तो दो दर्जन से अधिक नाम चल रहा है जिनमें प्रमुख रूप से पूर्व महापौर चंद्रिका चंद्राकर, डॉ. मानसी गुलाटी, गया नगर क्षेत्र की पार्षद लीना दिनेश देवांगन, अल्का बाघमार, गायत्री वर्मा, झरना वर्मा, पूर्व पार्षद डॉक्टर चंद्रकला खिचरिया, कुमुद बघेल हैं लेकिन जानकार बताते हैं कि जातीय समीकरण के चलते अगर साहू समाज से ही प्रत्याशी बनाने पर भाजपा सापेक्षिक रूख दिखाती है तो संभावित प्रत्याशियों में डॉ. भारती साहू कॉलेज संचालिका के साथ-साथ साहू समाज में महिला प्रकोष्ठ की संभाग अध्यक्ष हैं। जिला और प्रदेश साहू संघ के भी कई पदाधिकारी उनके पक्ष में बात कर रहे हैं।

अन्य दावेदारों में सविता पोषण साहू का भी नाम आया है जो कि वार्ड पार्षद और महापौर, दोनों के लिए दावेदार मानी जा रही हैं। शहर की चिकित्सक डॉ. गनेशिया देवी साहू तथा पूर्व सांसद सरोज पांडेय के निज सहायक रहे दौलत साहू की पत्नी चंपा साहू ने भी भाजपा से महापौर के लिए पार्टी टिकट के लिए दावा किया है।

साहू समाज से अलग सामंजस्य बिठाए जाने पर पूर्व महापौर चंद्रिका चंद्राकर 5 वर्ष महापौर रही हैं।

श्रीमती अल्का बाघमार ने 2014 में वार्ड 60 में भाजपा से पार्षद निर्वाचित होकर राजनीति में कदम रखा और 2019 में टिकट कटने के बाद कुछ समय शांत रहीं लेकिन विगत दो तीन वर्ष से भाजपा में जिला उपाध्यक्ष के रूप में सक्रिय रूप से कार्य कर रही हैं, वे महिला मोर्चा में भी कार्य की हैं।

डॉ. चन्द्रकला खिचरिया बीएएमएस (गोल्ड मेडलिस्ट) हैं और विगत 32 वर्षों से निजी चिकित्सालय का संचालन करने के आलावा ABVP रायपुर नगर सचिव, 2004 में वार्ड-59 कातुलबोड़ से पार्षद एवं महिला एवं बाल विकास प्रभारी रही हैं। वो प्रदेश उपाध्यक्ष भाजपा चिकित्सा प्रकोष्ठ, जिला उपाध्यक्ष भाजपा दुर्ग रह चुकी हैं। गायत्री शक्तिपीठ संतराबाड़ी दुर्ग में ट्रस्टी के आलावा महिला कुर्मी समाज अध्यक्ष भी रही हैं।

पार्षद श्रीमती लीना देवांगन भाजपा में 32 वर्षो से पूर्णकालिक कार्यकर्ता व पूर्व सभापति दिनेश देवांगन की धर्मपत्नी हैं जो गया नगर वार्ड से लगातार 3 बार अपराजेय चुनाव जीतते रहे हैं। 2019 में महिला आरक्षण के चलते वहां के कार्यकर्ताओ व मतदाताओं की इच्छानुसार पार्टी ने उनकी पत्नी लीना देवांगन को टिकट दिया और वे भी अच्छे वोटो से चुनी गई थीं। निगम में महापौर धीरज बाकलीवाल के पांच साल के कांग्रेस शासन काल में दमदार विपक्षी पार्षद के रूप में लीना का कार्यकाल रहा है।

श्रीमती गायत्री वर्मा भी लम्बे समय से संगठन से जुड़ी हुई हैं। स्वर्गीय हेमचंद यादव के मार्गदर्शन में राजनीति की शुरआत उन्होंने की और अभी महिला मोर्चा की जिला महामंत्री भी हैं।

चौकाने वाली खबर यह भी है कि श्रीमती माया बेलचदन ने ग्रामीण में पंचायत क्षेत्र की राजनीति छोड़कर अब शहर में महापौर के लिए दावा ठोंक दिया है। इन्ही में से किसी एक नाम पर पार्टी चयन समिति द्वारा भाजपा महापोर प्रत्याशी की मुहर लगाई जा सकती है और 25 जनवरी तक ऐलान हो सकता है।

कांग्रेस पार्टी में कुर्मी समाज से पूर्व महापौर आर एन वर्मा की पत्नी एमआईसी मेम्बर सत्यवती वर्मा, शहर महिला कांग्रेस के अध्यक्ष रही कल्पना देशमुख, रामकली यादव का नाम उभर रहा है।

कांग्रेस पार्टी में ओबीसी महिला के लिए यूं तो कुर्मी समाज से अधिक प्रबल दावेदार हैं, लेकिन यदि वो साहू समाज से प्रत्याशी का चयन करती है तो इसमें प्रेमलता साहू का नाम सामने आ रहा है।

प्रेमलता काफी समय से कांग्रेस की सक्रिय राजनीति में हैं। पति भूषण साहू कांग्रेस से पार्षद रहे हैं, वो वर्तमान में बोरसी की पार्षद हैं। कांग्रेस में नगर निगम के महापौर पद के लिए जिन लोगों ने आवेदन दिए है उनमें रामकली यादव, प्रेमलता पोषण साहू, कल्पना देशमुख, सरला संजय कोहले, शकुन ढीमर, कन्या ढीमर व जमुना साहू शामिल है।
बहरहाल दोनों प्रमुख पार्टियों के प्रमुख नेता दुर्ग महापौर सीट पर कब्जा जमाने के लिए सामाजिक समीकरण के आधार पर अलग-अलग स्तरों पर प्रत्याशियों की छानबीन भी कर रहे हैं। वैसे इसमें कोई संदेह नहीं है कि सामाजिक समीकरण के आधार पर प्रत्याशी चुना जाना जीत का आधार बन सकता है। कांग्रेस भाजपा के आलावा आम आदमी पार्टी शहर में सक्रिय जरूर है लेकिन उसकी ओर से फिलहाल प्रत्याशी के तौर पर नाम और खुलकर दावेदारी सामने नहीं आ पाई है।

ट्रिपल इंजन सरकार चलाएगी भाजपा – जिलाध्यक्ष कौशिक
भाजपा जिलाध्यक्ष सुरेंद्र कौशिक ने कहा कि इस बार बीजेपी निकाय चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करके डबल नहीं ट्रिपल इंजन की सरकार चलाएगी। जातिगत समीकरण तो अलग बात है सबसे पहले दावेदार को पार्टी का सक्रिय कार्यकर्ता होना पड़ेगा। जिसकी पहुंच अंतिम छोर के व्यक्ति तक हो, बीजेपी एक संगठनात्मक पार्टी है, जिसका निर्णय संगठन ही लेगा लेकिन इस बार का चुनाव बीजेपी के पक्ष में रहेगा।

दुर्ग किले पर फिर से होगा कांग्रेस का कब्जा-अरूण वोरा
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अरूण वोरा ने दावा किया है कि कांग्रेस इस बार फिर दुर्ग निगम में अपना कब्जा जमाएगी। हमने शहर में पिछले 5 साल जो काम किए हैं यदि उसकी तुलना विष्णुदेव साय सरकार की सरकार के काम से करें तो चीजें साफ हो जाएंगी। निगम के शासन में पेयजल की पुरानी समस्याओं का अंत हुआ है। 18 नई टंकियां बनीं जिनसे पानी सप्लाई हो रहा है। बीजेपी तो अपनी महतारी वंदन योजना का लाभ भी पूरी महिलाओं को नहीं दे सकी। उनके कहने और करने में फर्क है।