सीजी भास्कर,12 october – Coldrif syrup death case :छिंदवाड़ा के छोटे से कस्बे परासिया में आज भी सन्नाटा पसरा है। हवा में बच्चों की खिलखिलाहट की जगह मातम की गूंज है। लोग अब भी यह सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर डॉ. प्रवीण सोनी ने ऐसी कौन सी दवा (Coldrif syrup) दी थी, जिसके बाद एक-एक कर 23 मासूमों की सांसें थम गईं।
कहानी कोई आम नहीं, बल्कि उन टूटे हुए घरों की है जहाँ अब सिर्फ यादें बची हैं।
“एक खुराक के बाद सब खत्म हो गया…”
मोर डोंगरी गांव की सीमा पवार की आंखों में आज भी वो दिन जिंदा है। उनका एक साल का बेटा गर्विक, जो कभी खिलखिलाता था, अब सिर्फ तस्वीरों में मुस्कुराता है।
12 सितंबर को गर्विक को हल्का बुखार हुआ था। डॉक्टर सोनी की दवा से ठीक भी हो गया। पर 20 सितंबर को जब दोबारा तबीयत बिगड़ी, तो डॉक्टर ने पास की दुकान से Coldrif syrup मंगवाया — और वहीं क्लिनिक में पहली खुराक दी।
बस, इसके बाद गर्विक की हालत अचानक खराब होने लगी। उल्टियां, दस्त, पेशाब बंद… और फिर नागपुर के अस्पताल में 10 दिन की जद्दोजहद के बाद उसने दम तोड़ दिया।
Coldrif syrup death case : “बेटे को बचाने के लिए गहने तक बेच दिए”
पचधार गांव के नीलेश सूर्यवंशी की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। उनका साढ़े तीन साल का बेटा मयंक अब इस दुनिया में नहीं है।
नीलेश कहते हैं, “मैंने इलाज के लिए गांववालों से उधार लिया, रिश्तेदारों के आगे हाथ जोड़े, लेकिन दवा (focus keyphrase: Coldrif syrup death case) ने सब खत्म कर दिया।”
उसी गांव में रसीद बोसम की बेटी संध्या भी इस जहरीले कफ सिरप का शिकार बनी। रसीद ने उसे बचाने के लिए गहने गिरवी रख दिए, पर किस्मत ने साथ नहीं दिया।
“सरकार की मदद आई, पर दर्द नहीं गया”
इन परिवारों को सरकार की ओर से राहत राशि दी गई। कुछ को चार लाख रुपये मिले, पर सवाल वही — क्या इन पैसों से वो मासूम लौट आएंगे?
परिजनों का कहना है कि उन्हें मुआवजा नहीं, जवाब चाहिए। आखिर ये Coldrif syrup बना किसने, बेचा किसने, और डॉक्टर ने क्यों दिया? अब तक किसी की जिम्मेदारी तय क्यों नहीं हुई?
Coldrif syrup death case : “अब सिर्फ जवाब चाहिए…”
परासिया से लेकर भोपाल तक हर किसी के मन में एक ही सवाल है —
क्या बच्चों की मौत सिर्फ एक गलती थी या किसी की लापरवाही?
क्योंकि जब Coldrif syrup जैसी दवा किसी के हाथ में जाती है, तो जिम्मेदारी सिर्फ इलाज की नहीं, ज़िंदगी की होती है।