सीजी भास्कर, 24 जून| Deemed University Colleges India : अगले 10 से 15 वर्षों में देशभर के डिग्री कालेज डीम्ड विश्वविद्यालय की तर्ज पर विकसित होंगे। इन डिग्री कालेजों में समग्रात्मक शिक्षा दी जाएगी। नई शिक्षा नीति के तहत इस योजना को मूर्त रूप देना शुरू कर दिया गया है। दूरस्थ इलाकों में स्थित डिग्री कालेज और पीजी कालेजों में पढ़कर युवा राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत बहुविषयक पढ़ाई कर सकेंगे और वहीं से डिग्री ले सकेंगे। विश्वविद्यालय की तरह यहां भी छात्र शोध और अनुसंधान कर सकेंगे, विभिन्न पाठ्यक्रम की पहुंच उन तक होगी।
एमिटी विश्वविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय कुलपति सम्मेलन के समापन के मौके पर भारतीय विश्वविद्यालय संघ (एआइयू) के उपाध्यक्ष प्रो. वीएन राजशेखरन पिल्लई ने बताया कि अगले 10-15 वर्षों में डिग्री कालेजों को विश्वविद्यालय की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। एआइयू के अध्यक्ष प्रो. विनय कुमार पाठक ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत इस पर काम किया जा रहा (Deemed University Colleges India)है। विदेशों में छात्र जिन कालेजों में पढ़ते हैं, उन्हें वहीं से डिग्री भी मिलती है। ऐसा अब भारत में भी होगा। कई कालेज को क्लस्टर बना उन्हें विश्वविद्यालय बनाया जा रहा है।
महाराष्ट्र में इसी तरह कुछ कालेजों का क्लस्टर बना विश्वविद्यालय की मान्यता दी है। विश्वविद्यालय बनने से वह अपनी परीक्षा खुद करा सकेंगे। अभी कालेज जिस विश्वविद्यालय से संबद्ध होते हैं, वही परीक्षा कराते हैं। इसमें कई बार समय लग जाता है। कापियों की जांच में समय लगता है। कालेज डीम्ड विश्वविद्यालय बनने से शोध और अनुसंधान पर अधिक कार्य (Deemed University Colleges India)होगा, जो देश के विकास को अधिक गति देगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शोध और अनुसंधान पर अधिक जोर दिया गया है। साथ ही प्रयोगात्मक शिक्षा से युवा अधिक कुशल बनेंगे। यह गेम चेंजर साबित होगा।
‘भारतीय ज्ञान’ का विश्वविद्यालय में विभाग खुलने पर विराम
विश्वविद्यालयों में भारतीय ज्ञान परंपरा सीखने के लिए नया विभाग नहीं खुलेगा। लंबे समय से चल रही इस चर्चा पर सम्मेलन में विराम लग गया। 200 से अधिक विश्वविद्यालय के कुलपतियों ने किताबों से ही भारतीय ज्ञान परंपरा को सिखाने का समर्थन किया। एकजुट होकर कार्य करने से उच्च शिक्षा को लेकर भारत का सभी ने उज्ज्वल भविष्य (Deemed University Colleges India)बताया। नया विभाग खुलने पर छात्र का एक अतिरिक्त विषय बढ़ेगा तो परीक्षा परिणामों को लेकर चिंताएं भी उतनी अधिक बढ़ेंगी। भारतीय ज्ञान परंपरा की सीख किताबों से जरूरी है।
डिग्री सममुल्य का फिर मिला अधिकार
विदेशों से डिग्री लेकर आने वाले छात्रों की डिग्री भारत में समतुल्य करने के लिए सबसे पहले भारतीय विश्वविद्यालय संघ (एआइयू) का अधिकार था। यह अधिकार अब हटकर यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) को दिया गया है। सम्मेलन में यह अधिकार फिर से एआइयू को ही मिलने के लिए सहमति बनी। डिग्री क्रेडिट के आंकड़ों को देखकर समतुल्य चुनी जाती है। एआइयू के मुकाबले यूजीसी के माध्यम से इस प्रक्रिया में कुछ समय लग जाता है।