सीजी भास्कर, 12 अगस्त |
राजधानी में डॉग बाइट का खतरा बढ़ा
रायपुर — राजधानी रायपुर में पालतू कुत्तों का रजिस्ट्रेशन नियमित रूप से अनिवार्य है, लेकिन नगर निगम के पास अब तक इसका ठोस डेटा मौजूद नहीं है। न तो पालतू कुत्ता पालने वाले मालिक नियमों का पालन कर रहे हैं, और न ही निगम प्रशासन सख्ती दिखा पा रहा है। नतीजा — मेकाहारा अस्पताल में रोज़ाना औसतन 20 डॉग बाइट मरीज पहुंच रहे हैं, जिनमें ज्यादातर पालतू कुत्तों के काटने के शिकार हैं।
पिटबुल और रॉटवाइलर जैसे खतरनाक नस्लों का प्रचलन
राजधानी में कुत्ता प्रेमियों के बीच पिटबुल, रॉटवाइलर, जर्मन शेफर्ड, लैब्राडोर, डोबरमैन, हस्की और गोल्डन रिट्रीवर जैसी नस्लों का पालन बढ़ रहा है। पिछले साल पिटबुल द्वारा डिलीवरी बॉय पर हमले का मामला FIR तक पहुंचा था।
तीन साल में 51,000+ डॉग बाइट केस
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार —
- 2022-23: 13,042 मामले
- 2023-24: 24,928 मामले
- 2024-25 (जनवरी तक): 13,760 मामले
कुल मिलाकर, तीन साल में 51,730 इंसानों को कुत्तों ने काटा, जबकि इसी अवधि में 2,803 जानवर भी शिकार बने।
नसबंदी और टीकाकरण अभियान
नगर निगम के मुताबिक, रोज़ाना 400-450 आवारा कुत्तों की नसबंदी और रेबीज़ वैक्सीन दी जाती है। नसबंदी के बाद कुत्तों को तीन दिन डॉग शेल्टर में रखकर वापस उसी स्थान पर छोड़ा जाता है। इस अभियान पर निगम सालाना 15 लाख रुपये खर्च कर रहा है।
रिहायशी और व्यावसायिक इलाकों में बढ़ा खतरा
बाजार, स्कूल और कॉलोनी इलाकों में डॉग बाइट आम हो गया है। बावजूद इसके, FIR दर्ज होना दुर्लभ है। notable case — जुलाई 2024 में अनुपम नगर में दो पिटबुल ने डिलीवरी बॉय पर हमला किया था, जिसके बाद मालिक पर धारा 291 BNS के तहत कार्रवाई हुई।
निगम और पशुप्रेमियों में टकराव
नसबंदी अभियान में कई बार पशुप्रेमी अड़ंगा डालते हैं, जिससे काम प्रभावित होता है। हाल ही में एक व्यक्ति ने भौंकते कुत्ते को मार दिया, तो कुत्ता प्रेमियों ने थाना घेराव कर दिया।
रजिस्ट्रेशन नियमों का उल्लंघन
नगर निगम नियम के अनुसार, पालतू कुत्तों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है, लेकिन अधिकतर मालिक बिना अनुमति कुत्ते पाल रहे हैं।
डॉग शेल्टर निर्माण अधूरा
सोंनडोंगर में बना डॉग शेल्टर 168 कुत्तों की क्षमता के साथ तैयार है, लेकिन मशीनरी इंस्टॉलेशन बाकी होने के कारण शुरू नहीं हो सका है। यहां दो ऑपरेशन थिएटर भी बनाए गए हैं।