सीजी भास्कर, 25 जून। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बुधवार को गुजरात और महाराष्ट्र में बड़े स्तर पर छापेमारी की। ये कार्रवाई साइबर अपराध और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े एक केस में हुई है, जिसमें 100 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध धनराशि को विदेश भेजने का संदेह जताया गया है।
सूत्रों के अनुसार, यह पूरा मामला डिजिटल अरेस्ट, फर्जी यूएसडीटी क्रिप्टो ट्रेडिंग, और फर्जी कानून प्रवर्तन एजेंसियों के नाम से भेजे गए नोटिस से जुड़ा है। जिन लोगों के खिलाफ कार्रवाई हो रही है, उनमें मकबूल डॉक्टर, काशिफ डॉक्टर, बासम डॉक्टर, महेश मफतलाल देसाई, और माज अब्दुल रहीम नाडा जैसे नाम शामिल हैं।
कैसे हुआ साइबर फ्रॉड?
आरोपियों पर भोले-भाले लोगों को फर्जी ईमेल, कॉल और डिजिटल नोटिस भेजकर डराने का आरोप है। वे खुद को सरकारी एजेंसी बताकर डिजिटल गिरफ्तारी (Digital Arrest) की धमकी देते थे। फिर पीड़ितों से मोटी रकम वसूलकर उस धन को हवाला और क्रिप्टो ट्रांजैक्शन के जरिए विदेश भेज दिया जाता था।
ईडी की जांच का दायरा
इस मामले में गुजरात के सूरत और अहमदाबाद, तथा महाराष्ट्र के मुंबई में एक साथ ईडी की टीमों ने दबिश दी। यह छापेमारी धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत की गई है। इस दौरान कई फर्जी बैंक खातों और डिजिटल वॉलेट्स की जांच की जा रही है।
फर्जी KYC और हवाला का जाल
ईडी को शक है कि इस रैकेट ने फर्जी केवाईसी दस्तावेजों का इस्तेमाल करके बैंक अकाउंट खोले और अवैध धन वहीं ट्रांसफर किया। फिर उसे क्रिप्टोकरेंसी में बदलकर हवाला ऑपरेटर्स के माध्यम से बाहर भेजा गया।