सीजी भास्कर, 6 अगस्त 2025 : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को ईमानदार सरकारी कर्मचारियों को तुच्छ और फर्जी शिकायतों से बचाने के लिए संतुलन बनाने पर जोर दिया। साथ ही कहा कि भ्रष्ट अधिकारियों को बचाया न जाए। जस्टिस बीवी नागरथना और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि यदि ईमानदार अधिकारियों को इन अफसोसजनक यानी परेशान करने वाली शिकायतों के कारण कमजोर बना दिया गया तो वे खुद को असुरक्षित महसूस करेंगे और बिल्कुल भी कार्य नहीं कर पाएंगे और यह “पालिसी पेरालिसिस” के समान होगा।
शीर्ष कोर्ट भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17ए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था जोकि सरकारी अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों में जांच शुरू करने के लिए पूर्व अनुमति की आवश्यकता को अनिवार्य बनाती है।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि यह दृष्टिकोण नहीं अपनाना चाहिए कि हर अधिकारी ईमानदार है या हर अधिकारी बेईमान है। सरकारी अधिकारी अपने आधिकारिक कर्तव्यों के निर्वहन में निर्णय लेते हैं या सिफारिशें करते हैं और कोई यह नहीं कह सकता कि हर निर्णय दागदार है। पीठ ने कहा कि यदि किसी अधिकारी ने अपने आधिकारिक कार्यों के निर्वहन में निर्णय लिया या सिफारिश की तो उसके ऊपर पुलिस जांच की तलवार लटकती नहीं रहनी चाहिए।
पीठ ने याचिकाकर्ता एनजीओ सेंटर फार पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता प्रशांत भूषण से पूछा – ” भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17ए में क्या गलत है? हम जानना चाहते हैं कि आप इसे क्यों चुनौती दे रहे हैं।” भूषण ने कहा कि पूर्व अनुमति की जरूरत का प्रविधान भ्रष्टाचार के अपराधों की जांच को प्रभावी रूप से बाधित करेगा।
उन्होंने कहा कि ईमानदार सरकारी अधिकारियों की सुरक्षा के लिए पहले से ही प्रविधान हैं। भूषण ने शीर्ष कोर्ट के पूर्व के निर्णयों का उल्लेख किया, जिन्होंने जांच एजेंसियों को स्वतंत्र बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। भूषण ने कहा- “हम निर्दोष लोगों की गिरफ्तारी देख रहे हैं।” उन्होंने नेताओं के खिलाफ ईडी द्वारा जांच किए गए मामलों का उल्लेख किया और दावा किया कि कई ऐसे मामले तब बंद कर दिए गए जब जांच किए जा रहे व्यक्ति ने सत्तारूढ़ पार्टी में शामिल हो गया।
केंद्र की ओर से सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भूषण के बयान पर आपत्ति जताई और कहा कि अदालत के समक्ष मामला भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम से संबंधित है। मामले की सुनवाई बुधवार को भी जारी रहेगी। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना और राष्ट्रीय डेरी विकास कार्यक्रम जैसी योजनाओं से जोड़ा गया है, जिससे जमीनी स्तर पर इसका प्रभाव और व्यापक हो सके।