रायपुर। छत्तीसगढ़ की सियासत में इन दिनों तीन नए चेहरों की चर्चा है, जो पहली बार विधानसभा पहुंचे और सीधे मंत्री पद तक पहुंच गए। राजेश अग्रवाल, गजेंद्र यादव और गुरु खुशवंत साहेब ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत साधारण स्तर से की थी, लेकिन आज ये सत्ता के केंद्र में हैं। आइए जानते हैं इनकी राजनीति की खास कहानियां—
गांव की चौपाल से मंत्री पद तक पहुंचे राजेश अग्रवाल
अंबिकापुर जिले के लखनपुर निवासी राजेश अग्रवाल ने अपनी राजनीति की शुरुआत गांव के पंच से की थी। इसके बाद वे उप सरपंच, नगर पंचायत अध्यक्ष और फिर विधायक बने। 2023 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के कद्दावर नेता और तत्कालीन उप मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव को हराकर इतिहास रच दिया।
राजेश अग्रवाल सामाजिक और सेवाभावी कार्यों के लिए जाने जाते हैं।
- बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान को बढ़ावा देने के लिए वे 2014 से बेटियों के जन्म पर ₹2000 की प्रोत्साहन राशि देने का कार्य कर रहे हैं।
- उनकी शिक्षा लखनपुर के सरकारी स्कूलों में हुई और वे कई सामाजिक संगठनों से भी जुड़े रहे हैं।
कॉलेज से राजनीति में उतरे और मंत्री बने गजेंद्र यादव
दुर्ग के गजेंद्र यादव का राजनीतिक सफर छात्र जीवन से शुरू हुआ। साइंस कॉलेज, दुर्ग में पढ़ाई के दौरान वे भाजपा के सक्रिय कार्यकर्ता बने और 1998 में उन्हें वार्ड अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली। 1999 में उन्होंने निगम चुनाव जीता और पांच बार पार्षद रहने के साथ-साथ भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश सचिव और स्काउट-गाइड के राज्य आयुक्त जैसे पदों पर काम किया।
2023 विधानसभा चुनाव में गजेंद्र यादव ने पूर्व मुख्यमंत्री अरुण वोरा को हराकर विधानसभा पहुंचे और अब मंत्री बन गए।
उनके पिता बिसरा राम यादव राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रांत प्रचारक रहे हैं। परिवार का व्यवसाय कृषि है और राजनीति में भी परिवार का गहरा योगदान रहा है।
सतनाम समाज से आते हैं गुरु खुशवंत साहेब
आरंग से पहली बार विधायक बने गुरु खुशवंत साहेब ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शिव डहरिया को 16,538 मतों से हराया और अब मंत्री पद संभाल रहे हैं।
- खुशवंत साहेब, सतनामी समाज के धर्मगुरु बाल दास साहेब के पुत्र हैं।
- उन्होंने मैट्स यूनिवर्सिटी, आरंग से मैकेनिकल इंजीनियरिंग और टर्बो मशीनरी में मास्टर्स की पढ़ाई की है।
- राजनीति में आने से पहले वे कृषि और ट्रांसपोर्ट व्यवसाय से जुड़े थे।
- वे अखिल भारतीय सतनाम सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष और भंडारपुरी गद्दी के उत्तराधिकारी भी हैं।
छत्तीसगढ़ की राजनीति में इन तीन चेहरों का उभार यह साबित करता है कि अगर लगन और जनता से जुड़ाव हो तो राजनीति की ऊंचाइयों तक पहुंचना मुश्किल नहीं। गांव की पंचायत से लेकर विधानसभा और अब मंत्री पद तक का इनका सफर आने वाले समय में राज्य की सियासत की दिशा तय करेगा।