सीजी भास्कर, 11 मार्च । हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होली (Holika Dahan 2025) का पर्व मनाया जाता है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है। इस दो दिवसीय उत्सव के पहले दिन होलिका जलाई जाती है, जिसे होलिका दहन कहा जाता है।
मान्यता है कि होलिका दहन (Holika Dahan 2025)से समस्याएं दूर होती हैं और परिवार में सुख, शांति और समृद्धि की कामना पूरी होती है। इसके अगले दिन, रंगोत्सव का आनंद लिया जाता है। इस दिन लोग एक-दूसरे पर गुलाल फेंकते हैं, घर-घर जाकर रंग लगाते हैं और होली की शुभकामनाएं देते हैं।
इस वर्ष होलिका दहन 13 मार्च 2025, गुरुवार को मनाया जाएगा। हालांकि, पंडितों और ज्योतिषियों के अनुसार, इस बार होलिका दहन पर भद्रा का प्रभाव रहेगा, और भद्राकाल में होलिका दहन करना वर्जित माना जाता है। आइए जानते हैं कि पूर्णिमा तिथि कब शुरू होगी और कब समाप्त होगी, भद्राकाल कब से रहेगा, और होलिका दहन की पूजा विधि क्या है…
तिथि की अवधि (Holika Dahan 2025)
फाल्गुन पूर्णिमा की शुरुआत : 13 मार्च 2025, बुधवार को सुबह 10:35 बजे
फाल्गुन पूर्णिमा का समापन : 14 मार्च 2025, गुरुवार को दोपहर 12:24 बजे तक
भद्रा काल का समय (Holika Dahan 2025)
ज्योतिषियों के अनुसार, फाल्गुन पूर्णिमा के आरंभ होते ही भद्रा का प्रभाव भी शुरू हो जाएगा, जो रात लगभग 11:26 बजे तक रहेगा। वहीं, होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त रात लगभग 12:23 बजे तक रहेगा।
होलिका दहन की विधि (Holika Dahan 2025)
- इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि से निवृत्त हों और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल की सफाई करें और फिर भगवान सूर्य को अर्ध्य देकर व्रत का संकल्प लें।
- जिस स्थान पर होलिका दहन करना है, उसे अच्छे से साफ करें।
- उसी स्थान पर होलिका दहन की सभी सामग्री एकत्रित करें।
- इसके बाद होलिका और प्रह्लाद की प्रतिमा बनाकर भगवान नरसिंह की पूजा करें।
- होलिका दहन के शुभ मुहूर्त में होलिका की पूजा करें और उसमें अग्नि प्रज्वलित करें।
- इसके बाद परिवार के साथ होलिका की तीन बार परिक्रमा करें।
- नरसिंह भगवान से प्रार्थना करते हुए होलिका की आग में गेहूं, चने की बालियां, जौ आदि डालें।
- इसके बाद होलिका की आग में गुलाल और जल अर्पित करें।
- होलिका की आग शांत होने के बाद उसकी राख को घर में रखें।