सीजी भास्कर, 31 अगस्त : बहु से दुष्कर्म करने के आरोपित ससुर को दोष सिद्ध होने पर छत्तीसगढ़ के जशपुर नगर जिला न्यायालय ने (Jashpur Rape Case) दस साल सश्रम कारावास की कठोर सजा सुनाई है। मामले में दिये गए अपने निर्णय में न्यायालय ने तुलसीदास द्वारा लिखित रामचरित मानस के श्लोक का उदाहरण भी दिया है।
विशेष लोक अभियोजक अनुपम तिर्की ने बताया कि 13 अगस्त 2022 को पीड़िता ने पंडरापाठ में शिकायत दर्ज कराई थी। उसने बताया था कि 12 अगस्त को वह और उसकी बेटी घर में अकेले थे। पति काम के सिलसिले में बाहर गए हुए थे। धान रोपाई के दौरान चोटिल हो जाने से वह अपने कमरे में आराम कर रही थी। अचानक उसके कमरे में आरोपित, जो रिश्ते में उसका चाचा ससुर लगता है, घुस आया और उससे दुष्कर्म करने लगा।
पीड़िता ने स्वयं को बचाने के लिए शोर मचाया और उसकी बेटी भी घबरा कर शोर मचाते हुए सहायता के लिए बाहर दौड़ गई। कुछ देर में बेटी पड़ोसियों को लेकर वापस लौटी, तब पड़ोसियों ने उसे आरोपित के चुंगल से छुड़ाया था। पीड़िता की शिकायत पर बगीचा थाना में आरोपित के विरुद्ध भारतीय दंड विधान की धारा 376, 450 के अंतर्गत अपराध दर्ज कर गिरफ्तार किया गया था। मामले में जांच पूरी कर बगीचा पुलिस ने चार्जशीट न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया।
अभियोजन और बचाव पक्ष की दलील और प्रस्तुत किये गए प्रमाणों के आधार पर अपर सेशन न्यायाधीश जनार्दन खरे की अदालत ने आरोपित को दोषी पाते हुए (Jashpur Rape Case) दस साल सश्रम कारावास और 2 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड जमा ना करने पर आरोपित को एक साल साधारण कारावास की सजा अतिरिक्त भुगतनी पड़ेगी।
न्यायालय ने दिया रामचरित मानस का उदाहरण
आरोपित चाचा ससुर को सुनाई गई दस साल कठोर कारावास की सजा में न्यायाधीश जनार्दन खरे ने गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरित मानस के दोहे का उदाहरण स्वरूप उल्लेख करते हुए उसका भावार्थ भी बताया है। अपने निर्णय में न्यायाधीश ने लिखा है। “अनुज बधु भगिनी सुत नारी। सुनु सठ कन्या सम ए चारी।।’’