सीजी भास्कर, 12 सितंबर। भाजपा सांसद और फिल्म अभिनेत्री कंगना रनोट (Kangana Ranaut) ने 2020-21 के किसान आंदोलन के दौरान किए गए अपने ट्वीट पर (defamation case) मानहानि शिकायत को रद करने के लिए दायर याचिका वापस ले ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह केवल एक साधारण रीट्वीट नहीं था और आपने जो पहले से था उसमें “और मसाला” जोड़ा था।
जस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ ने शुक्रवार को कहा कि संबंधित ट्वीट या रीट्वीट की व्याख्या को कम से कम रद करने की याचिका के रूप में नहीं देखा जा सकता। रनोट के वकील ने पीठ को बताया कि अभिनेत्री ने एक ट्वीट को रीट्वीट किया था। मूल ट्वीट में पहले से ही कई लोगों ने रीट्वीट किए थे। इस पर जस्टिस मेहता ने टिप्पणी की, “आप पृष्ठ 35 पर की अपनी टिप्पणियों के बारे में क्या कहती हैं? यह एक साधारण रीट्वीट नहीं है। आपने कुछ जोड़ा है, आपने जो पहले से था उसमें मसाला जोड़ा है।”
नई दिल्ली में हुई इस सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि उन्होंने मानहानि शिकायत रद करने की याचिका दायर की थी और रनोट ने स्पष्टीकरण भी दिया। आज कंगना की यह स्थिति है कि पंजाब में वह यात्रा नहीं कर सकतीं। परीक्षण अदालत ने इस मामले में उनके स्पष्टीकरण पर विचार नहीं किया। इस पर पीठ ने कहा, “हमें पृष्ठ 35 पर लिखी गई बातों पर टिप्पणी करने के लिए नहीं कहें।” जस्टिस नाथ ने वकील से पूछा कि क्या याचिकाकर्ता याचिका वापस लेना चाहती हैं। वकील ने कहा कि वह याचिका वापस लेंगे जिसके बाद पीठ ने इसे स्वीकार कर लिया। इस घटनाक्रम ने मामले को (Supreme Court criticism) के दायरे में और गहरा कर दिया।
कंगना रनोट ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी, जिसने उसके खिलाफ शिकायत को रद करने से इन्कार कर दिया था। उन्होंने 2020-21 के किसान आंदोलन के दौरान एक महिला प्रदर्शनकारी व शिकायतकर्ता महिंदर कौर (73) के बारे में टिप्पणी की थी। पंजाब की कौर ने जनवरी, 2021 में शिकायत में कहा था कि कंगना ने रीट्वीट में झूठे आरोप में कहा था कि वह वही “दादी” हैं जो शाहीन बाग आंदोलन का हिस्सा थीं। इस शिकायत को अदालत ने गंभीरता से लिया और इसे (Kangana Ranaut tweet controversy) मानते हुए प्रक्रिया आगे बढ़ाई।
इस पूरे मामले ने न केवल कंगना रनोट के खिलाफ कानूनी मुश्किलें खड़ी की हैं, बल्कि इसे लेकर राजनीतिक और सामाजिक बहस भी तेज हो गई है। किसान आंदोलन के दौरान कई चर्चित हस्तियों के बयान सामने आए थे, लेकिन अदालत ने साफ कर दिया है कि हर टिप्पणी की कानूनी जिम्मेदारी तय होगी। खासकर सोशल मीडिया पर दिए गए बयानों को केवल (freedom of expression issue) के तौर पर नहीं देखा जा सकता, बल्कि उनके निहितार्थ और प्रभाव का आकलन भी जरूरी है।
इस तरह सुप्रीम कोर्ट ने यह संकेत दिया है कि सोशल मीडिया पर दिए गए बयानों को हल्के में नहीं लिया जाएगा। कंगना रनोट को अपनी याचिका वापस लेनी पड़ी, लेकिन मामला यहीं खत्म नहीं हुआ है। आगे की सुनवाई और प्रक्रियाएं इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।