सीजी भास्कर, 31 जुलाई। केशकाल के ग्राम पंचायत धनोरा अंतर्गत वेदी नाला, पथरापारा, धनोरा-ध्रुवापारा मार्ग पर निर्मित पुलिया (Kondagaon News) पहली ही बारिश में बह जाने से निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग द्वारा स्वीकृत इस परियोजना के लिए शासन ने 29.191 लाख रुपये की राशि मंजूर की थी, जिसमें 4.392 लाख श्रमिक लागत और 24.799 लाख रुपये सामग्री के लिए निर्धारित थे।
स्थानीय ग्रामीण रामसिंग मरकाम सहित अन्य लोगों ने आरोप लगाया कि पुलिया (Kondagaon News) का निर्माण बिना किसी गुणवत्ता परीक्षण के किया गया, जिसके परिणामस्वरूप यह पहली बारिश में बह गई। मरम्मत के नाम पर पुनः निर्माण किया गया, लेकिन वह भी अधूरा और कमजोर रहा। पुल के नीचे की नींव को मजबूती नहीं दी गई और सीमेंट, गिट्टी, रेत जैसी सामग्री की गुणवत्ता बेहद खराब थी।
ग्रामीणों का आरोप है कि मामूली बारिश में ही मार्ग कीचड़ से भर गया, जिससे ग्रामीणों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। निर्माण स्थल पर सूचना पटल तो लगाया गया, लेकिन उसमें कार्य प्रारंभ और पूर्ण होने की तिथि का उल्लेख नहीं किया गया, जिससे परियोजना की पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं।
ग्रामीणों का यह भी कहना है कि श्रमिकों को मजदूरी का भुगतान तक नहीं किया गया है। विभागीय इंजीनियर राजीव सिंह से कई बार संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, जिससे लापरवाही और जवाबदेही से बचने की आशंका और गहरा गई है।
उच्च स्तरीय जांच की मांग (Kondagaon News)
ग्रामीणों ने शासन और प्रशासन से मांग की है कि इस घटिया निर्माण कार्य की उच्चस्तरीय जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए, साथ ही गुणवत्तापूर्ण पुनर्निर्माण की प्रक्रिया शुरू की जाए ताकि आमजन को वास्तविक लाभ मिल सके।
पुल के अभाव से गांवों का टूटा संपर्क, लोगों की बढ़ीं परेशानियां
सुकमा के कोंडर पंचायत के पदामपारा सहित आसपास के कई छोटे-छोटे गांवों का मुख्य मार्ग से संपर्क हर बारिश में पूरी तरह कट जाता है। लगभग 30 किलोमीटर दूर स्थित यह क्षेत्र कभी नक्सल प्रभावित था, लेकिन अब धीरे-धीरे प्रशासनिक पकड़ मजबूत हो रही है, बावजूद इसके बुनियादी सुविधाओं की कमी अब भी बरकरार है। पदामपारा की करीब 50 घरों की बस्ती और आसपास के अन्य गांवों में रहने वाले ग्रामीणों को बारिश के मौसम में गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
बता दें कि जलभराव और पुल के अभाव में आवागमन पूरी तरह बाधित हो जाता है। ग्रामीणों को दैनिक उपयोग की सामग्री लाने के लिए भी पानी के बीच से होकर गुजरना पड़ता है, जिससे उनकी जान जोखिम में रहती है। ग्रामीणों ने कई बार प्रशासन से पुल निर्माण की मांग की है। हाल ही में सांसद महेश कश्यप के क्षेत्र प्रवास के दौरान भी इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया गया।