सीजी भास्कर, 11 अगस्त |
कोरबा: छत्तीसगढ़ में धान उत्पादन को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का काम किया है झगरहा गांव के 67 वर्षीय किसान रामरतन निकुंज ने। वर्मी मैट्रिक्स ग्रिड पद्धति अपनाकर उन्होंने न केवल लागत को 50% तक कम किया, बल्कि प्रति हेक्टेयर 95 से 106 क्विंटल तक रिकॉर्ड पैदावार हासिल की। यह राज्य के औसत उत्पादन (80 क्विंटल/हेक्टेयर) से काफी अधिक है।
रिटायरमेंट के बाद खेती में किया नवाचार
2018 में एसईसीएल गेवरा से सेवानिवृत्त होने के बाद रामरतन ने पारंपरिक खेती में बदलाव का निर्णय लिया। धान उत्पादन की विभिन्न पद्धतियों का अध्ययन करने के बाद उन्होंने ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी संजय पटेल की सलाह पर कृषि मेलों का रुख किया और तीन साल पहले इस अनोखी तकनीक को अपनाया।
क्या है वर्मी मैट्रिक्स ग्रिड तकनीक?
इस पद्धति में वर्मी कंपोस्ट को कतारबद्ध तरीके से डालकर पौधों की रोपाई की जाती है। 15-20 दिन पुरानी नर्सरी से पौध तैयार कर खेत में लगाई जाती है। इससे पौधों की ग्रोथ बेहतर होती है, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और कीट-व्याधि का असर घटता है। रासायनिक कीटनाशकों की जरूरत भी काफी कम हो जाती है।
मेहनत का मीठा फल
शुरुआत में एक हेक्टेयर में 88 क्विंटल पैदावार मिली, जबकि 2023 में यह आंकड़ा 106 क्विंटल तक पहुंच गया। जिले के कई कृषि अधिकारी और किसान उनके खेत देखने आए और इस तकनीक को अपनाने लगे।
आर्थिक लाभ भी शानदार
रामरतन बताते हैं, “पांच एकड़ में खेती करने में लगभग 1 लाख रुपए की लागत आती है, जबकि सरकारी खरीद दर के हिसाब से पैदावार से 6.20 लाख रुपए तक की आय होती है।”
बहु-फसली खेती का मॉडल
धान के साथ वह सब्जियां भी उगा रहे हैं और आम, बेर और चीकू का बगीचा तैयार कर रहे हैं। आम की विशेष किस्म तैयार करने के लिए वे कलम पद्धति का इस्तेमाल कर रहे हैं।