सीजी भास्कर, 17 सितम्बर |Liquor Scam Bail Hearing:छत्तीसगढ़ के चर्चित Liquor Scam (शराब घोटाला) मामले में जेल में बंद चैतन्य बघेल की ओर से अग्रिम जमानत याचिका दायर की गई है। इस पर 19 सितंबर को कोर्ट में सुनवाई होगी। बताया जा रहा है कि गिरफ्तारी से बचने के लिए चैतन्य ने हाईकोर्ट में अर्जी दी थी, जिसे खारिज कर लोअर कोर्ट जाने को कहा गया। अब उनका आवेदन निचली अदालत में लंबित है।
1000 करोड़ की मनी लॉन्ड्रिंग में आरोप
प्रवर्तन एजेंसियों की जांच में खुलासा हुआ कि चैतन्य बघेल ने शराब घोटाले से जुड़े Black Money (ब्लैक मनी) को रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में निवेश किया।
जांच के दस्तावेजों के मुताबिक, इस पूरे नेटवर्क के जरिए 1000 करोड़ रुपए से अधिक का लेन-देन हुआ।
चैतन्य पर आरोप है कि उन्होंने सिंडिकेट के साथ मिलकर ब्लैक मनी को वाइट दिखाने के लिए फर्जी निवेश और लेन-देन का सहारा लिया।
16.70 करोड़ रुपए का फायदा – जांच एजेंसी का दावा
जांच में यह भी सामने आया कि Chaitanya Baghel को शराब घोटाले से 16.70 करोड़ रुपए सीधे तौर पर मिले।
ये रकम कथित तौर पर उनके रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में डाली गई।
कुछ लेन-देन कैश में हुए, जिन्हें बाद में बैंकिंग चैनल के जरिए “लीगल” दिखाने की कोशिश की गई।
रियल एस्टेट प्रोजेक्ट में फर्जी निवेश का खेल
बघेल के Vittal Green Project (विट्ठल ग्रीन प्रोजेक्ट) में बड़ी रकम इन्वेस्ट होने का खुलासा हुआ।
जांचकर्ताओं के मुताबिक, प्रोजेक्ट पर असली खर्च करीब 13–15 करोड़ था, जबकि रिकॉर्ड में सिर्फ 7.14 करोड़ दिखाया गया।
डिजिटल सबूतों से यह भी सामने आया कि एक ठेकेदार को 4.2 करोड़ रुपए कैश में दिए गए, जो किसी भी आधिकारिक रिकॉर्ड में दर्ज नहीं थे।
फर्जी फ्लैट खरीदी और कैश डील का खुलासा
जांच एजेंसी ने पाया कि 19 फ्लैट्स की खरीदी एक ही दिन में दिखाई गई।
फ्लैट्स कर्मचारियों के नाम पर दर्ज किए गए, लेकिन पूरा भुगतान Trilok Singh Dhillon (त्रिलोक सिंह ढिल्लो) ने खुद किया।
यह कदम Money Laundering (मनी लॉन्ड्रिंग) को छुपाने और ब्लैक मनी को सफेद दिखाने की योजना का हिस्सा बताया जा रहा है।
ज्वेलर्स के जरिए 5 करोड़ का ट्रांसफर
भिलाई के एक ज्वेलर्स ने चैतन्य को 5 करोड़ रुपए उधार दिए दिखाए।
बाद में उसी ज्वेलर्स ने बघेल की कंपनी से 6 प्लॉट खरीद लिए, जिनकी असली कीमत 80 लाख थी।
जांच एजेंसी के अनुसार, यह सिर्फ ब्लैक मनी को बैंकिंग चैनल में घुमाने और Cash to Legal Money (कैश टू लीगल मनी) दिखाने का तरीका था।
फ्रंट कंपनियों और लेयरिंग से छिपाया गया पैसा
रिपोर्ट्स के मुताबिक, घोटाले की रकम को सीधे ट्रांसफर करने के बजाय कई Layering Transactions (लेयरिंग ट्रांजेक्शन) किए गए।
पैसा अलग-अलग कंपनियों और व्यक्तियों के अकाउंट्स में भेजकर अंततः बघेल तक पहुंचाया गया।
एजेंसियों का कहना है कि यह पूरा नेटवर्क पहले से प्लान किया गया था, ताकि ट्रैक करना मुश्किल हो सके।
