सीजी भास्कर, 9 नवंबर। भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल में हुए 3,200 करोड़ के शराब घोटाले (Liquor Scam Chhattisgarh) के बाद अब विष्णु देव साय सरकार राज्य की शराब नीति में बड़ा बदलाव करने जा रही है। सरकार ने तय किया है कि वह शराब की बिक्री के कारोबार (Liquor Sale Business) से खुद को पूरी तरह अलग करेगी और एक बार फिर से ठेका पद्धति (Tender System) लागू करेगी। सूत्रों के अनुसार, नई नीति का मसौदा तैयार कर लिया गया है और इसे आगामी कैबिनेट बैठक में मंजूरी के लिए रखा जाएगा। सरकार का दावा है कि इस व्यवस्था से न केवल राजस्व (Revenue Collection) में बढ़ोतरी होगी, बल्कि पारदर्शिता भी सुनिश्चित की जा सकेगी।
सरकार अब नहीं बेचेगी शराब
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के निर्देश पर आबकारी विभाग (Excise Department) ने शराब नीति में संशोधन का प्रारंभिक मसौदा तैयार किया है। नए प्रस्ताव के अनुसार, राज्य में अब शराब की खुदरा बिक्री (Retail Liquor Sale) की जिम्मेदारी निजी ठेकेदारों (Liquor Scam Chhattisgarh) को दी जाएगी। सरकार केवल निगरानी और नियंत्रण की भूमिका में रहेगी। इस कदम का उद्देश्य सरकार को शराब कारोबार से सीधे जुड़ी वित्तीय अनियमितताओं से दूर रखना और ठेका प्रणाली के माध्यम से Accountability व Transparency लाना है।
राजस्व में होगी वृद्धि, भ्रष्टाचार पर लगेगी रोक
आबकारी विभाग के सूत्रों के अनुसार, ठेका पद्धति लागू होने से सरकार को स्थिर और पारदर्शी राजस्व मिलेगा। वर्तमान व्यवस्था में Chhattisgarh State Marketing Corporation Limited (CSMCL) के जरिए सरकार शराब दुकानों का संचालन कर रही है, लेकिन अपेक्षित आय नहीं हो पा रही है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में विभाग को 11 हजार करोड़ रुपये का लक्ष्य दिया (Liquor Scam Chhattisgarh) गया था, जबकि केवल करीब 8 हजार करोड़ रुपये ही प्राप्त हो सके। अब सरकार ने आगामी वित्तीय वर्ष के लिए लक्ष्य 12,500 करोड़ रुपये तय किया है। अधिकारियों का कहना है कि नई ठेका पद्धति से यह लक्ष्य न केवल पूरा होगा, बल्कि राज्य राजस्व में 15-20% तक वृद्धि होने की उम्मीद है।
रमन सिंह सरकार ने 2017 में बदली थी व्यवस्था
पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के कार्यकाल में 1 अप्रैल 2017 से ठेका प्रणाली खत्म कर सरकार ने शराब की बिक्री खुद के हाथ में ले ली थी। इसके लिए सीएसएमसीएल (CSMCL) का गठन किया गया, जो आज भी सभी सरकारी शराब दुकानों (Government Liquor Shops) का संचालन (Liquor Scam Chhattisgarh) कर रही है। अब विष्णु देव साय सरकार मानती है कि यह मॉडल न तो आर्थिक दृष्टि से फायदेमंद साबित हुआ और न ही पारदर्शिता ला सका। इसलिए सरकार अब उसी ठेका मॉडल को फिर से लागू करने जा रही है, लेकिन बेहतर निगरानी और तकनीकी मॉनिटरिंग सिस्टम के साथ।
शराब घोटाले की पृष्ठभूमि में उठाया गया कदम
छत्तीसगढ़ में हुए Liquor Scam 2025 में तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल, होटल कारोबारी अनवर ढेबर, सेवानिवृत्त आईएएस अनिल टुटेजा, अफसर मनीष मिश्रा, अभिषेक सिंह, मुकेश मनचंदा, अतुल कुमार सिंह और दीपेन चावड़ा समेत कई आरोपी जेल में बंद हैं। कुछ रसूखदार आरोपी फिलहाल जमानत पर बाहर हैं। यह घोटाला न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि झारखंड और दिल्ली (Delhi Excise Scam) की आबकारी नीति से भी जुड़ा बताया गया। जांच में सामने आया कि छत्तीसगढ़ के कारोबारी और अफसरों ने झारखंड की आबकारी नीति तैयार करने में भी भूमिका निभाई थी। वहीं दिल्ली शराब घोटाले में तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया जेल में हैं।
नई शराब नीति के 5 मुख्य बिंदु
सरकार शराब बिक्री से बाहर होगी, ठेकेदारों को जिम्मेदारी दी जाएगी।
राजस्व लक्ष्य 12,500 करोड़ रुपये तय, डिजिटल मॉनिटरिंग सिस्टम अनिवार्य।
टेंडर सिस्टम पूरी तरह ऑनलाइन होगा।
निगरानी और लाइसेंसिंग में पारदर्शिता लाई जाएगी।
झारखंड और दिल्ली जैसी घोटाले की पुनरावृत्ति रोकने के लिए कड़ा नियंत्रण तंत्र बनेगा।
