नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर चुनाव आयोग पर सीधा हमला बोला है। दिल्ली में कांग्रेस के ‘एनुअल लीगल कॉन्क्लेव’ को संबोधित करते हुए उन्होंने चुनाव प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए। राहुल ने कहा कि भारत में अब चुनाव आयोग नाम की कोई संस्था बची ही नहीं है और 2024 के लोकसभा चुनावों में खुलकर धांधली हुई है।
राहुल गांधी का आरोप: “लोकसभा चुनाव में धांधली हुई, हमारे पास ठोस सबूत हैं”
राहुल गांधी ने कहा,
“मैं 2014 से महसूस कर रहा था कि हमारे चुनावी सिस्टम में कुछ गड़बड़ है। गुजरात विधानसभा चुनावों से लेकर 2024 के लोकसभा चुनाव तक लगातार ऐसे ट्रेंड्स दिखे, जो असामान्य थे।”
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र जैसे राज्य में कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टियों को लोकसभा चुनाव में जीत मिली, लेकिन कुछ महीनों बाद विधानसभा चुनाव में उन्हें साफ कर दिया गया।
“तीन ताकतवर पार्टियां अचानक गायब हो जाती हैं, ये कैसे हो सकता है?” उन्होंने पूछा।
मतदाता सूची में गड़बड़ी का आरोप
राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस ने महाराष्ट्र में मतदाता सूची की जांच की, जहां 1 करोड़ नए वोटर लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बीच जोड़े गए।
“हमने एक लोकसभा सीट पर विश्लेषण किया और पाया कि 6.5 लाख मतदाताओं में से 1.5 लाख फर्जी थे,” राहुल ने दावा किया।
उन्होंने चुनाव आयोग पर ये आरोप भी लगाया कि वह मतदाता सूची की डिजिटल कॉपी उपलब्ध नहीं कराता और ऐसी फॉर्मेट देता है जिसे स्कैन भी नहीं किया जा सकता।
“ऐसा क्यों? क्योंकि वो नहीं चाहते कि गड़बड़ी का पता चले,” राहुल ने आरोप लगाया।
“EC के अधिकारी देश के खिलाफ काम कर रहे, रिटायर हों या नहीं, छोड़ेंगे नहीं”
राहुल गांधी ने चुनाव आयोग के अधिकारियों को चेतावनी भरे लहजे में कहा कि जो भी लोग इस गड़बड़ी में शामिल हैं –
“ऊपर से नीचे तक, रिटायर हो या कार्यरत – हम उन्हें ढूंढ निकालेंगे। यह सिर्फ धांधली नहीं, राजद्रोह है।”
उन्होंने दावा किया कि अगर बीजेपी को 15-20 सीटें कम मिलतीं तो नरेंद्र मोदी दोबारा प्रधानमंत्री नहीं बनते।
चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के आरोपों को बताया ‘निराधार और गैर-जिम्मेदाराना’
राहुल गांधी के बयानों पर चुनाव आयोग ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। आयोग ने साफ कहा:
“हम हर दिन मिलने वाले बेबुनियाद आरोपों और धमकियों को नजरअंदाज करते हैं। हम पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से काम कर रहे हैं।”
आयोग ने यह भी बताया कि राहुल गांधी को जब-जब दस्तावेजी आपत्ति देने को कहा गया, वह उपस्थित नहीं हुए।
“अब हमारे कर्मचारियों को धमकाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है,” आयोग ने कहा।
विश्लेषण: 2024 के चुनावों पर उठे सवाल और 2029 के लिए संकेत?
राहुल गांधी के इन तीखे बयानों को 2029 की तैयारी और विपक्षी रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। कांग्रेस पार्टी अब चुनाव आयोग, EVM, और मतदाता सूची को बड़ा चुनावी मुद्दा बनाने की ओर बढ़ रही है। सवाल यह है कि क्या ये आरोप जनता तक भरोसेमंद तरीके से पहुंच पाएंगे या फिर यह सिर्फ राजनैतिक बयानबाज़ी रह जाएगी?