सीजी भास्कर, 22 अक्टूबर। भाकपा (माओवादी) के भीतर चल रही गहरी दरार अब आधिकारिक रूप से सामने आ गई है। संगठन के पोलित ब्यूरो सदस्य और केंद्रीय क्षेत्रीय ब्यूरो सचिव सोनू उर्फ भूपति (Maoist Surrender Impact Bastar) तथा केंद्रीय समिति सदस्य रूपेश उर्फ सतीश सहित कुल 271 माओवादियों के आत्मसमर्पण के बाद केंद्रीय समिति ने एक विस्तृत पत्र जारी कर इन्हें ‘गद्दार’ बताते हुए सजा देने की घोषणा की है। यह पत्र संगठन के प्रवक्ता ‘अभय’ के नाम से जारी किया गया है, जो पहले स्वयं भूपति द्वारा उपयोग किया जाने वाला नाम था। इससे यह स्पष्ट नहीं है कि अब संगठन का नया प्रवक्ता कौन है।
16 अक्टूबर को जारी इस बयान में माओवादी केंद्रीय समिति ने स्वीकारा है कि भूपति और सतीश सहित वरिष्ठ कैडरों के आत्मसमर्पण से संगठन को गहरी क्षति हुई है। पत्र में कहा गया है कि इन नेताओं के आत्मसमर्पण ने न केवल दण्डकारण्य ज़ोन, बल्कि पूरे देश के माओवादी आंदोलन (Maoist Surrender Impact Bastar) को कमजोर किया है। इसके बावजूद, पत्र में शेष कैडरों और समर्थकों से एकजुट होकर आंदोलन को फिर से संगठित करने की अपील की गई है।
केंद्रीय समिति ने अपने बयान में कहा है कि सोनू, सतीश और उनके सहयोगी पार्टी से विश्वासघात कर दुश्मन के सामने आत्मसमर्पण कर रहे हैं, जिससे पार्टी की साख और क्रांतिकारी धारा को गहरा नुकसान पहुंचा है। संगठन ने इन्हें पार्टी विरोधी और प्रतिकूल गतिविधियों में लिप्त बताते हुए जनता से अपील की है कि वे ऐसे गद्दारों को पहचानें और आंदोलन की रक्षा करें।
पत्र में यह भी उल्लेख है कि भूपति और सतीश लंबे समय से दक्षिण बस्तर में सक्रिय रहे और दण्डकारण्य विशेष जोनल कमेटी (डीकेएसजेडसी) में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे। भूपति के आत्मसमर्पण को संगठन ने विचारधारात्मक विचलन और दुश्मन के साथ मिलीभगत करार दिया है। पत्र में यह भी स्वीकार किया गया है कि इन आत्मसमर्पणों से संगठन की आंतरिक एकता को झटका लगा है और कई निचले स्तर के कैडर असमंजस की स्थिति में हैं।
इसके बावजूद, केंद्रीय समिति ने दावा किया है कि क्रांति को पराजित नहीं किया जा सकता और संगठन अब पुनर्गठन के दौर में प्रवेश करेगा। बयान में कहा गया है कि माओवादी कार्यकर्ता अब पहले से ज्यादा सतर्क रहेंगे और संगठन की विचारधारा को दोबारा मजबूत करने के लिए नए कैडरों को प्रशिक्षित करेंगे।
संगठन ने दावा किया कि यह एक अस्थायी झटका है और पार्टी आने वाले महीनों में अपनी स्थिति फिर से मजबूत करेगी। माओवादी पत्र में यह भी लिखा गया है कि पुलिस और शासन के दबाव के कारण कई वरिष्ठ सदस्य भ्रमित होकर आत्मसमर्पण कर रहे हैं, लेकिन क्रांतिकारी धारा कभी समाप्त नहीं होगी।
माओवादियों की ओर से जारी यह बयान उनके भीतर गहराते अंतर्विरोधों का स्पष्ट संकेत है। यह बस्तर सहित देशभर में संगठन के तेजी से कमजोर पड़ने की एक और पुष्टि है। देवजी गुट द्वारा यह पत्र जारी कर शेष बचे निचले कैडर और मुख्यधारा में लौट चुके पूर्व सदस्यों को भ्रमित करने का प्रयास किया गया है, लेकिन इसका कोई वास्तविक प्रभाव सुरक्षा बलों के माओवादी विरोधी अभियान (Maoist Surrender Impact Bastar) पर नहीं पड़ेगा।
आईजी बस्तर सुंदरराज पी. ने कहा कि यह पत्र माओवादी संगठन की हताशा का परिणाम है। जब विचारधारा खोखली पड़ जाती है और नेतृत्व आत्मसमर्पण कर देता है, तो संगठन में अविश्वास बढ़ जाता है। उन्होंने कहा कि यदि माओवादी अब भी मुख्यधारा में लौटने का अवसर नहीं अपनाते, तो उनका अंजाम भी बसवा राजू की तरह होना तय है।