सीजी भास्कर, 11 सितंबर। छात्रों में आत्महत्या(Mental Health App Launch) की बढ़ती प्रवृत्ति को रोकने के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली ने एक अभिनव पहल शुरू की है। ग्लोबल सेंटर आफ इंटीग्रेटिव हेल्थ के सहयोग से एम्स ने मेडिकल छात्रों के लिए वाट्सएप आधारित ‘नेवर अलोन’ एप विकसित किया है। यह एप कृत्रिम बुद्धिमत्ता यानी एआइ से संचालित होगा और छात्रों को किसी भी समय मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी (Suicide Prevention Technology) सहायता उपलब्ध कराएगा।
इस एप की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह छात्रों के व्यवहारिक संकेतों और बातचीत के पैटर्न से आत्महत्या(Mental Health App Launch) की प्रवृत्ति के शुरुआती लक्षणों को पहचान लेगा। यदि लक्षण स्पष्ट मिलते हैं तो एप तुरंत ऑन-काल काउंसलिंग का सुझाव देगा। केवल पांच से छह मिनट की चैटिंग के दौरान एप आधे पेज की एक समरी रिपोर्ट तैयार करेगा, जिसे चिकित्सक देख सकेंगे। इसके माध्यम से छात्रों को तुरंत (AI Mental Health Counseling) उपलब्ध होगी और वे अपने लिए स्लॉट भी बुक कर पाएंगे।
एम्स प्रशासन ने बताया कि यह एप अगले महीने से एम्स दिल्ली, एम्स भुवनेश्वर और मानव व्यवहार एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान (इहबास) शाहदरा के छात्रों के लिए निशुल्क उपलब्ध होगा। मनोचिकित्सा विभाग के प्रोफेसर डॉ. नंद कुमार ने कहा कि यदि छात्र चाहें तो ओपीडी अपॉइंटमेंट भी एप के जरिए करा सकेंगे। प्रोफेसर गगन कुमार ने बताया कि मानसिक स्वास्थ्य से जूझ रहे करीब 70-80 प्रतिशत लोग कभी चिकित्सीय मदद नहीं लेते। ऐसे में यह एप छात्रों के लिए 24 घंटे उपलब्ध रहेगा और उन्हें (Student Mental Health Support) प्रदान करेगा।
भविष्य की योजना के बारे में संस्थान ने कहा कि अन्य संस्थानों में भी इस एप(Mental Health App Launch) को उपलब्ध कराया जाएगा। इसके लिए प्रति छात्र प्रतिदिन केवल 70 पैसे का मामूली शुल्क लिया जाएगा। इस कदम का उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य को सुलभ बनाना और समय रहते छात्रों को परामर्श उपलब्ध कराना है। विशेषज्ञों का मानना है कि डिजिटल माध्यमों से युवाओं तक पहुंचना सबसे प्रभावी तरीका है क्योंकि वे स्मार्टफोन और सोशल मीडिया से लगातार जुड़े रहते हैं।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के ताजा आंकड़े भी स्थिति की गंभीरता दर्शाते हैं। भारत में हर साल औसतन 1.70 लाख से ज्यादा लोग आत्महत्या करते हैं। इसका मतलब है कि रोजाना 400 से अधिक लोग आत्महत्या कर रहे हैं। वर्ष 2017 में प्रति लाख जनसंख्या पर आत्महत्या की दर 9.9 थी, जो 2022 में बढ़कर 12.4 तक पहुंच गई। चिंताजनक बात यह है कि आत्महत्या करने वालों में युवाओं (18 से 45 वर्ष) की हिस्सेदारी करीब 66 प्रतिशत है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस आंकड़े से साफ है कि मानसिक स्वास्थ्य को लेकर तत्काल ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
‘नेवर अलोन’ एप इस दिशा में आशा की एक नई किरण है। यह न केवल छात्रों के जीवन को बचाने में मदद करेगा, बल्कि समाज में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता भी बढ़ाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहल आने वाले समय में (Digital Mental Health Innovation) के तौर पर मिसाल बनेगी।
