Modi Successor Debate: पीएम मोदी के उत्तराधिकारी पर जारी बहस के बीच मोहन भागवत का साफ बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद देश का नेतृत्व कौन संभालेगा—इस सवाल पर चल रही लगातार बहस के बीच आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने एक कार्यक्रम के दौरान अपना पक्ष बिल्कुल स्पष्ट रखा। उनसे जब इस विषय पर सीधा प्रश्न पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उत्तराधिकारी का फैसला बीजेपी और प्रधानमंत्री स्वयं करेंगे, और यह विकल्प उनके दायरे में नहीं आता।
“यह निर्णय हमारा नहीं, पार्टी और पीएम का है” — भागवत
भागवत ने साफ तौर पर कहा कि इस तरह के राजनीतिक निर्णयों पर टिप्पणी करना उचित नहीं है। उन्होंने हल्के लहजे में यह भी जोड़ा कि वह केवल शुभकामनाएं ही दे सकते हैं। उनके जवाब को संकेत माना जा रहा है कि संघ आंतरिक नेतृत्व परिवर्तन की बहस से दूरी बनाए रखना चाहता है।
शताब्दी समारोह में ‘एकता’ पर जोर
चेन्नई में आयोजित संघ के शताब्दी वर्ष समारोह में भागवत ने देश में बढ़ते जाति व भाषा आधारित विभाजन पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि यदि भारत को विश्व पटल पर एक मजबूत राष्ट्र के रूप में उभरना है तो इस तरह की रुकावटों को खत्म करना ही होगा। उनके अनुसार, संघ का उद्देश्य समाज में ऐसा वातावरण बनाना है, जहाँ एकता स्वाभाविक रूप से कायम हो।
“धारणाएं ज़्यादा, तथ्य कम”—भागवत का समाज से संवाद पर जोर
तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में भागवत ने कहा कि संघ के बारे में जितनी धारणाएं फैली हैं, उतने तथ्य लोगों तक नहीं पहुंचे हैं। इसी वजह से संगठन अब देशभर में जनता के साथ सीधा संवाद बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा कि 100 साल की यात्रा के बाद अब वक्त है कि तथ्यों को अधिक विस्तार से सामने लाया जाए।
गलतफहमियों को दूर करने का एकमात्र रास्ता—संवाद
भागवत के अनुसार, संघ के शुभचिंतक हों या विरोध करने वाले—अधिकतर लोग धारणाओं के आधार पर ही अपनी राय बनाते हैं। उन्होंने कहा कि जब तक सही जानकारी लोगों तक नहीं पहुँचेगी, गलतफहमियां खत्म नहीं होंगी। उनके मुताबिक, संवाद बढ़ाना आज समय की सबसे बड़ी जरूरत है।


