सीजी भास्कर, 6 जुलाई |
आरपीएफ हवलदार की मौत के बाद पेंशन सूदखोर लूट रहे और उसकी पत्नी प्लेटफॉर्म पर भीख मांग कर अपना गुजारा कर रही है। स्टेशन में पूरे दिन खाने के लिए लोगों से रुपए मांगती है। एक आरपीएफ के जवान की मदद से तोरवा थाने में जाकर एफआईआर दर्ज कराई, लेकिन सूदखोर महिला ने रुपए देकर मामला रफा-दफा करा दिया।
वृद्ध बैसाखी बाई गुरुम, पति आस बहादुर गुरुम नेपाल से हैं। आस बहादुर आरपीएफ में हवलदार के पद पर पदस्थ था। 10 साल पहले ड्यूटी के दौरान जहरीले जीव के काटने से आस बहादुर की मौत हो गई। तब बच्चा छोटा था और पत्नी अनपढ़, इसलिए नौकरी नहीं मिली। लेकिन पेंशन हर महीने उन्हें मिलती थी।
कुछ दिनों बाद बेटे की भी मौत हो गई। रुपयों की जरूरत पड़ी तो बैसाखी बाई ने आरपीएफ कॉलोनी में रहने वाली कुसुम नेपाली से 30 हजार रुपए उधार लिए। कुछ समय तक वह 2 से 3 हजार रुपए हर महीने देती रही। इसके बाद कुसुम नेपाली ने उनकी पासबुक, पीपीओ नंबर, पैन कार्ड और आधार – सारे दस्तावेज अपने पास रख लिए।
अब वह हर महीने बैसाखी बाई को लेकर बैंक जाती है। विदड्रॉल फॉर्म भरकर उसका अंगूठा लगवाकर सारा पेंशन खुद रख लेती है। बैसाखी को सिर्फ 2-3 हजार रुपए देकर उसे वापस स्टेशन पर भीख मांगने के लिए छोड़ देती है। बीते कई सालों से आस बहादुर की पत्नी बैसाखी इसी तरह रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर भीख मांगकर किसी तरह अपना गुजारा कर रही है।
केस-1: देवरीखुर्द में रहने वाले शॉप में पदस्थ रेलकर्मी की मौत के बाद उसकी पत्नी का भी पासबुक सूदखोर ने बंधक रखा है। दरअसल रुपयों की आवश्यकता पड़ने पर कुछ रुपए उधार लिए थे। सूदखोर लल्लू बनिया ने ऐसा ब्याज लगाया कि पत्नी बुरी तरह फंस गई।
केस-2 : बैसाखी बाई ने बताया कि कुसुम नेपाली ने इसी तरह एक मुस्लिम महिला का पासबुक अपने पास रख लिया था। आखिर में तंग आकर महिला ने जहर सेवन कर लिया। तब उसने पासबुक वापस किया। अभी भी उसके पास कई लोगों के पासबुक व अन्य दस्तावेज बंधक हैं।
(नाम नहीं लिखने के आग्रह पर कर्मचारियों ने दी जानकारी)
पति के बाद बेटे-बेटी की मौत, अब अकेले रहती है
बैसाखी बाई ने बताया कि वर्तमान में उसे 15 हजार रुपए पेंशन मिलती है। कुसुम सारे रुपए रख कर सिर्फ 2 से 3 हजार रुपए देती है। पति की मौत के बाद उसका बेटा और बेटी दोनों का निधन हो गया। एक बेटा किन्नर बन चुका है, वो वर्तमान में कहां है, उसे भी नहीं पता।
रेलवे क्षेत्र में सालों से सक्रिय हैं ये सूदखोर
हेमूनगर, बाबूनगर, तोरवा और लालखदान क्षेत्र में राजा सिंधी, नीरज लालपुर, नागेश्वर राव शेष, निर्मल लालपुरे, संतोष समुद्रे, जित्तू मलिक, दीपक कुमार उर्फ दीपू, अनिल कुमार यादव, छोटू समुद्रे, देवनारायण पाल, अनिल कुमार यादव, आजाद सिंह सरदार, देशराज सिंह सलूजा, मनोज कुमार सिंह, ग्लेडियस दास, रविकांत सिंह, हरजीत, जोगेंद्र, जुनेजा सरदार, उमेश उपाध्याय, मार्टिन उर्फ जसपाल, देव कश्यप, उदल पासी – ये लोग सूदखोरी का काम करते हैं।
इनमें से अधिकांश पर मामला भी तोरवा थाने में दर्ज है। इसी तरह गोंड़पारा क्षेत्र के ओमप्रकाश गुप्ता, विजय गुप्ता, राकेश गुप्ता, लल्लू बनिया, अजीत सिंह भोगल, मोहम्मद अशफाक खान, शैलेष चरण व अन्य के नाम शामिल हैं। जबकि वर्तमान में सिर्फ 17 लोगों के पास साहूकारी का लाइसेंस है।
रेलवे की ज़मीन पर सूदखोर महिला का कब्ज़ा कुसुम नेपाली आरपीएफ कॉलोनी के सामने रहती है। यहां उसने रेलवे की 3,000 वर्गफीट से ज्यादा जमीन पर कब्जा कर रखा है। आसपास की जमीन पर अपनी कार और बाइक के लिए पार्किंग तक बना रखी है।