सीजी भास्कर, 13 सितबंर। हाई कोर्ट ने फैमिली कोर्ट द्वारा दिए गए पारस्परिक सहमति से तलाक(Mutual Divorce Chhattisgarh) के आदेश को निरस्त करने से इनकार कर दिया है। अदालत ने साफ कहा कि जब पति-पत्नी दोनों ने सहमति से अलग होने का फैसला किया था, तो अब अपील की कोई गुंजाइश नहीं है। कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि कानून भावनाओं से नहीं, बल्कि तथ्यों और प्रक्रियाओं से चलता है।
तलाक के बाद भी साथ मनाई सालगिरह और की यात्रा
यह मामला बिलासपुर की एक महिला और मोपका निवासी युवक से जुड़ा है। दोनों ने रिश्तों में खटास आने के बाद हिंदू विवाह अधिनियम के तहत तलाक की मांग की थी। फैमिली कोर्ट ने 4 जनवरी 2025 को तलाक डिक्री पारित की।
हालांकि तलाक के बाद भी दोनों के बीच बातचीत शुरू हुई। 11 से 15 मार्च 2025 तक दंपती ने मथुरा की यात्रा की, होटल बुकिंग और ट्रेन टिकट भी कराए। साथ ही शादी की सालगिरह (Mutual Divorce Chhattisgarh) भी मनाई।
हाई कोर्ट में अपील, पर निरस्त
महिला ने हाई कोर्ट में अपील करते हुए कहा कि रिश्ते सुधर गए हैं और अब वे साथ रहना चाहते हैं। उसने ट्रेन टिकट, होटल बुकिंग और तस्वीरें सबूत के तौर पर पेश कीं। पति की ओर से भी तर्क दिया गया कि पत्नी अभी भी उसके खाते में पैसे भेजती है, जिससे रिश्ते कायम होने का संकेत मिलता है।
लेकिन डिवीजन बेंच जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद ने कहा कि 9 दिसंबर 2024 को दोनों ने कूलिंग पीरियड हटाने की मांग करते हुए स्पष्ट किया था कि वे अगस्त 2022 से अलग रह रहे हैं। सबूतों के आधार पर फैमिली कोर्ट (Mutual Divorce Chhattisgarh) ने फैसला दिया था। इसलिए अब उस आदेश को चुनौती देना कानूनन मान्य नहीं है।
पुराने केस का हवाला
हाई कोर्ट ने अभिनव श्रीवास्तव बनाम आकांक्षा श्रीवास्तव केस का हवाला देते हुए कहा कि सहमति से तलाक होने पर अपील स्वीकार नहीं की जा सकती।