सीजी भास्कर, 07 मई : छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले के बैकुंठ नलवा सीमेंट लिमिटेड द्वारा ग्राम मंधईपुर में प्रस्तावित लाइम स्टोन माइनिंग प्रोजेक्ट (Nalwa Cement Protest) को लेकर पचरी, छड़ियां, आलेसुर व अन्य आसपास के गांवों में जबरदस्त आक्रोश है। ग्रामीणों का कहना है कि सरकार उद्योगपतियों के साथ मिलकर हमें जहर दे रही है। आगामी 20 मई को प्रस्तावित जनसुनवाई के दिन सामूहिक आत्मदाह की चेतावनी भी पीड़ित किसानों ने दी है।
ग्रामीणों का आरोप है कि परियोजना (Nalwa Cement Protest) से न केवल पर्यावरण बल्कि गांव का जीवन, संसाधन और आस्था के केंद्र भी प्रभावित होंगे। मंधईपुर में प्रस्तावित खनन कार्य से पेयजल संकट, प्रदूषण, भूजल स्तर में गिरावट और जैव विविधता को नुकसान की आशंका व्यक्त की जा रही है।
प्रस्तावित माइनिंग क्षेत्र में पचरी पंचायत का तालाब, जहां सैकड़ों किसान निस्तारी करते हैं, मुक्तिधाम, जहां ग्रामीणों की आस्था जुड़ी है, और चारागाह भूमि, जो पशुओं के लिए आरक्षित है, सब कंपनी के दायरे में आ जाएंगे। ग्रामीणों ने इसे सांस्कृतिक और संसाधन पर हमला बताया।
29 नवंबर 2024 को जनसुनवाई (Nalwa Cement Protest) आयोजित की जानी थी, लेकिन पचरी सरपंच अभिषेक वर्मा के नेतृत्व में ग्रामीणों के विरोध के चलते उसे स्थगित कर दिया गया था। अब दोबारा जनसुनवाई की घोषणा से फिर से असंतोष फैल गया है। सरपंच अभिषेक वर्मा ने कहा कि हमने वर्षों की मेहनत से गांव की जल समस्या को दूर किया है। नलवा आई तो सब खत्म हो जाएगा।
मैं गांव को चंद पैसों में नहीं बेचूंगा। आरबीआइ ने ऐसा नोट नहीं छापा जो अभिषेक वर्मा को खरीद सके। नलवा का डटकर विरोध होगा। प्रोजेक्ट को लेकर नलवा की पीआर हेड पूनम कक्कड़ से संपर्क की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। वहीं पूर्व हेड हरीश सिन्हा ने कहा कि अब वह नलवा से अलग हो चुके हैं। ग्रामीणों का साफ संदेश है कि प्रदूषण और विनाश के बदले विकास नहीं चाहिए।