सीजी भास्कर, 5 सितम्बर |
रायपुर। नक्सलियों पर कड़ा प्रहार करने के लिए सुरक्षा एजेंसियों ने अब नया प्लान तैयार किया है। बारिश के मौसम के बाद जैसे ही जंगलों में मूवमेंट आसान हुआ है, संयुक्त ऑपरेशन की रूपरेखा को अंतिम रूप देने के लिए शुक्रवार को नया रायपुर स्थित एक निजी रिसॉर्ट में अहम बैठक बुलाई गई।
सुबह साढ़े नौ बजे शुरू हुई इस बैठक में छत्तीसगढ़, ओडिशा, मध्यप्रदेश और तेलंगाना के डीजीपी सहित केंद्रीय बलों के शीर्ष अधिकारी और खुफिया एजेंसियों के प्रतिनिधि मौजूद रहे। बैठक की अगुवाई केंद्र के वरिष्ठ अधिकारियों ने की।
ऑपरेशन होगा और आक्रामक
बैठक में वामपंथी उग्रवाद (LWE) से निपटने के लिए कई बिंदुओं पर मंथन हुआ। सूत्रों का कहना है कि इस बार रणनीति ‘कश्मीर मॉडल’ की तर्ज पर बनाई जा रही है। यानी हर ऑपरेशन इंटेलिजेंस इनपुट पर आधारित होगा और फोर्स को उसी हिसाब से मूव किया जाएगा।
सीमावर्ती राज्यों में फोकस
नक्सलियों की गतिविधियां फिलहाल छत्तीसगढ़-ओडिशा, छत्तीसगढ़-तेलंगाना और मध्यप्रदेश के बालाघाट इलाके से सटे जंगलों में ज्यादा बढ़ी हैं।
इस वजह से ऑपरेशन को और चुनौतीपूर्ण माना जा रहा है। ऐसे में सीमावर्ती जिलों में संयुक्त फोर्स की तैनाती और खुफिया सूचनाओं का रियल-टाइम आदान-प्रदान सबसे अहम मुद्दा रहा।
खुफिया नेटवर्क होगा मजबूत
बैठक में मौजूद अधिकारियों ने साफ कहा कि अब हर कार्रवाई खुफिया रिपोर्ट पर आधारित होगी। इसका मकसद यह है कि नक्सलियों को किसी भी इलाके में सुरक्षित ठिकाना न मिले। साथ ही राज्यों के बीच बेहतर तालमेल और सूचना साझा करने की व्यवस्था को भी मजबूत किया जाएगा।
एजेंसियों पर बढ़ा दबाव
केंद्र की ओर से पहले ही 2026 तक नक्सलवाद खत्म करने का लक्ष्य तय कर दिया गया है। ऐसे में सुरक्षा बलों और खुफिया एजेंसियों पर जिम्मेदारी और दबाव दोनों बढ़ गया है। यही कारण है कि इस बैठक को बेहद अहम माना जा रहा है।