सीजी भास्कर, 18 अक्टूबर। छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा विभाग ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए यह स्पष्ट कर दिया है कि राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता से किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जाएगा। इसी क्रम में गरियाबंद स्थित PM श्री (स्वामी आत्मानंद हिंदी माध्यम विद्यालय) की प्राचार्य वंदना पाण्डेय को तत्काल प्रभाव से निलंबित (Principal Suspension) कर दिया गया है।
यह (Principal Suspension) तब हुआ जब स्कूल की शिक्षा और व्यवस्था की स्थिति बेहद खराब पाई गई, जिसे विभाग ने घोर लापरवाही की पराकाष्ठा माना। इस कार्रवाई से शासन ने साफ संदेश दिया है कि गुणवत्ता में गिरावट या प्रशासनिक लापरवाही अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
क्यों किया गया निलंबन
शिक्षा विभाग के सचिव ने 31 जनवरी 2025 को स्कूल का अचानक निरीक्षण किया, जहां कई गंभीर कमियाँ सामने आईं। रिपोर्ट में पाया गया कि स्कूल का शैक्षणिक स्तर बेहद निम्न है। कक्षा 12वीं के विद्यार्थियों का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं था। इसके अलावा प्रयोगशाला का सही संचालन नहीं हो रहा था। विज्ञान लैब में उपकरण पुराने और अनुपयोगी मिले।
स्कूल परिसर की साफ-सफाई की स्थिति बेहद खराब थी, फर्नीचर बिखरे हुए थे और अनुशासन का पूर्ण अभाव देखा गया। इन खामियों ने प्रबंधन की गंभीर विफलता उजागर की। विभाग ने माना कि प्राचार्या ने अपने दायित्वों का निर्वहन ठीक से नहीं किया, जो (Principal Suspension) के तहत छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 के अनुसार गंभीर कदाचार की श्रेणी में आता है।
लापरवाही बनी गंभीर कदाचार
विभागीय आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि प्राचार्य वंदना पाण्डेय ने अपने पद और कर्तव्यों के प्रति घोर लापरवाही और अनुशासनहीनता दिखाई है। राज्य शासन ने तत्काल प्रभाव से निलंबन की कार्रवाई की है। निलंबन अवधि के दौरान उनका मुख्यालय संभागीय संयुक्त संचालक (शिक्षा संभाग), रायपुर निर्धारित किया गया है, जहां उन्हें नियमों के अनुसार जीवन निर्वाह भत्ता दिया जाएगा।
यह कार्रवाई छत्तीसगढ़ शासन की उस नीति का हिस्सा है जिसके तहत PM श्री योजना के तहत आने वाले स्कूलों में किसी भी प्रकार की प्रशासनिक या शैक्षणिक लापरवाही पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।
विभाग की यह पहल न केवल अनुशासन स्थापित करने के उद्देश्य से की गई है, बल्कि अन्य शैक्षणिक संस्थानों को भी चेतावनी देती है कि भविष्य में किसी भी तरह की चूक बर्दाश्त नहीं की जाएगी। शिक्षा विभाग की यह निर्णायक कार्रवाई (Principal Suspension) राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता और जवाबदेही को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रही है।