सीजी भास्कर 2 नवंबर Priyanka Gandhi : कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने दिल्ली की बिगड़ती हवा को लेकर गंभीर चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि पहले वायनाड और फिर बिहार के बछवाड़ा से लौटने के बाद दिल्ली की हवा में सांस लेना तक मुश्किल हो गया है।
“यह शहर मानो धुएं और धूल के ग्रे परदे में लिपट गया है,” उन्होंने कहा। (Priyanka Gandhi) ने केंद्र और राज्य सरकार दोनों से अपील की कि अब राजनीतिक मतभेदों को किनारे रखकर एकजुट होकर समाधान निकालने का वक्त आ गया है।
“हम सब इसी हवा में सांस ले रहे हैं” – प्रियंका का भावुक संदेश
प्रियंका गांधी ने कहा कि यह सिर्फ दिल्ली की नहीं, बल्कि पूरे देश की समस्या बन चुकी है। “साल दर साल दिल्लीवासी इस ज़हरीली हवा के शिकार बन रहे हैं। बच्चे, बुज़ुर्ग और बीमार लोग सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं,” उन्होंने लिखा।
उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री दोनों को अब मिलकर ठोस कदम उठाने होंगे क्योंकि “हम सब इसी हवा में सांस ले रहे हैं।” यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया है और लोगों ने इसे आम नागरिक की आवाज़ बताया।
बढ़ता हुआ खतरा – AQI पहुंचा ‘बेहद खराब’ से ‘गंभीर’ स्तर तक
दिल्ली के कई इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी (Air Quality Index) 303 तक पहुंच गया है, जो ‘बेहद खराब’ श्रेणी में आता है।
वजीरपुर और आनंद विहार जैसे क्षेत्रों में स्थिति और भी चिंताजनक है, जहां AQI ‘गंभीर’ स्तर पर दर्ज किया गया है। डॉक्टरों के मुताबिक, इस स्तर की हवा में लंबे समय तक रहना सांस की बीमारियों, एलर्जी और फेफड़ों की सूजन को बढ़ा सकता है।
क्लाउड सीडिंग से उम्मीद की किरण
वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए दिल्ली सरकार ने (Cloud Seeding) यानी कृत्रिम बारिश की योजना शुरू की है।
हालांकि, पिछले हफ्ते बादलों में नमी की कमी के कारण दो परीक्षण असफल रहे, लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि जल्द ही परिस्थितियां अनुकूल होते ही बारिश संभव है।
सरकार का कहना है कि अगर यह प्रयोग सफल रहा तो प्रदूषण के स्तर में 25–30% तक की कमी लाई जा सकती है।
अब वक्त है ठोस कदमों का
प्रियंका गांधी ने अपने संदेश में कहा कि “यह वक्त एक-दूसरे पर आरोप लगाने का नहीं, बल्कि जिम्मेदारी निभाने का है।”
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता से अपील की कि वे मिलकर ऐसे कदम उठाएं जो जनता को तुरंत राहत दें।
“राजनीति बाद में भी की जा सकती है, लेकिन सांस लेने का अधिकार अभी बचाना है,” उन्होंने लिखा।
