सीजी भास्कर, 02 सितंबर। सड़कों पर लगने वाले पंडाल और अस्थाई संरचनाओं को लेकर चल रही जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान शासन ने आज उच्च न्यायालय की खंडपीठ को बताया कि नई पालिसी लागू कर दी गई है।
इस पालिसी के तहत अब कोई भी व्यक्ति, संस्था या समिति बिना अनुमति सार्वजनिक मैदान, मार्ग, फुटपाथ या खुले स्थान पर पंडाल (Public Pandals Policy Update) या अस्थाई संरचना तैयार नहीं कर सकेगा।
याचिकाकर्ता रायपुर निवासी नितिन सिंघवी ने चर्चा में बताया कि बिना अनुमति पंडाल या सभा करने पर सजा का प्रावधान रहेगा। शासन ने दो प्रकार के दिशा निर्देश जारी किए हैं।
पहला, छोटे पंडाल और अस्थाई संरचनाओं के लिए, जहां पांच सौ व्यक्ति तक ठहर सकेंगे और निर्माण क्षेत्र पांच हजार वर्ग फीट से कम होगा।
दूसरा, बड़े पंडाल (Public Pandals Policy Update) के लिए, जहां पांच सौ से अधिक लोग इकट्ठा हो सकेंगे और निर्माण क्षेत्र पांच हजार वर्ग फीट से अधिक होगा।
छोटे पंडालों के लिए मुख्य शर्तों में नगर पालिक निगम से अनुमति लेना अनिवार्य होगा। मुख्य मार्ग पर अनुमति सामान्यतः नहीं दी जाएगी और यदि दी जाती है तो वैकल्पिक मार्ग चिन्हित करना होगा।
किसी भी पंडाल का निर्माण बिजली तारों के ठीक नीचे नहीं होगा और निर्माण अग्निरोधी सामग्री से किया जाएगा। साथ ही, सफाई व्यवस्था आयोजक समिति की जिम्मेदारी होगी।
बड़े पंडालों (Public Pandals Policy Update) के लिए अतिरिक्त शर्तों में जिला दंडाधिकारी, थाना प्रभारी, अग्निशामक और बिजली विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना आवश्यक होगा।
अनुमति के साथ शुल्क जमा करना होगा और जनरेटर बैकअप की व्यवस्था करनी होगी। साथ ही, किसी भवन से 15 फीट दूरी बनाए रखनी होगी।
याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि गणेश विसर्जन के दौरान इस पालिसी की प्रभावशीलता की टेस्टिंग होगी। शासन ने निवेदन किया कि दुर्गा पूजा के बाद इस मामले पर सुनवाई की जाए। कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख 06 अक्टूबर तय की है।