RSS की तीन दिनों तक चली अखिल भारतीय प्रचारक बैठक रविवार को शाम खत्म हुई. यह बैठक दिल्ली के केशवकुंज में 4 जुलाई से 6 जुलाई तक चली. बैठक में मुख्य तौर पर संघ शताब्दी वर्ष को लेकर अक्टूबर से देशभर में चलने वाले कार्यक्रमों की रूपरेखा तय की गई. लेकिन संघ के अपने कार्यक्रमों के अलावा देश की तमाम आंतरिक और ज्वलंत विषयों पर भी चर्चा की गई.
सूत्रों के मुताबिक संघ शताब्दी वर्ष के अलावा कनाडा और अमेरिका में हिंदू मंदिरों पर हमले के साथ-साथ बांग्लादेश में हिंदू और दूसरे अल्पसंख्यकों पर हमले को लेकर भी चर्चा की गई. बांग्लादेश से अवैध घुसपैठ और धर्मांतरण के मुद्दे पर भी चर्चा की गई.
ऑपरेशन सिंदूर पर भी की गई चर्चा
सूत्रों के मुताबिक बैठक में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सीमावर्ती राज्यों में उपजी परिस्थितियों पर भी चर्चा हुई. भारत पाकिस्तान के बीच तनाव की स्थिति में सीमावर्ती राज्यों में काम करने वाले प्रांत प्रचारकों ने अपना पक्ष रखा और ऐसी परिस्थितियों में संघ कार्यकर्ताओं द्वारा किए जा सकने वाले कार्यों के बारे में भी चर्चा की.
डिजिटल का पारिवारिक मूल्यों पर प्रभाव
बैठक में डिजिटल प्रभाव से पारिवारिक मूल्यों पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव को लेकर भी चर्चा की गई. साथ ही भविष्य में इसके प्रभाव को कम करने को लेकर क्या किया जा सकता है, इस बारे में बैठक में विस्तार से चर्चा की गई. डिजिटल तकनीक का जरूरत से ज्यादा उपयोग परिवार के किसी भी रिश्ते को कमजोर कर देता हैं. इसलिए समाज को इसके दुष्प्रभाव से बचना चाहिए.
राजनीतिक विषयों पर की गई चर्चा
आरएसएस की इस बैठक में देश के मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों पर भी चर्चा की गई. राजनीतिक कारणों से उत्पन्न भाषा और जाति विभेद को कम करने और सामाजिक ताना बाना को मजबूत करने पर चर्चा की गई. सामाजिक समरसता को बढ़ावा कैसे दिया जाए इस बात पर भी ध्यान दिया गया.
बैठक में आरएसएस के 11 क्षेत्र और 46 प्रांतों के प्रचारक शामिल हुए. इस बैठक का नेतृत्व सरसंघचालक मोहन भागवत और सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले द्वारा किया गया.