सीजी भास्कर, 28 मई। छत्तीसगढ़ सरकार ने 10 हजार से अधिक स्कूलों के युक्तियुक्तकरण करने का फैसला लिया है। इस फैसले के बाद लगभग 43 हजार से ज्यादा पोस्ट भी खत्म हो सकती है। इसके विरोध में आज (बुधवार) दोपहर को 10 हजार से अधिक शिक्षक मंत्रालय का घेराव करने जा रहे हैं।
शिक्षकों का कहना है कि, ये फैसला शिक्षक गुणवत्ता से खिलवाड़ और सरकारी स्कूलों को कमजोर करने का प्रयास है। 2 शिक्षकों का 18 क्लासेस लेना संभव नहीं है। पूर्व डिप्टी सीएम सिंहदेव ने कहा कि नया सेटअप अन्यायपूर्ण है। यह छत्तीसगढ़ के बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। वहीं सरकार इसे स्कूली एजुकेशन के बेहतरी के लिए उठाया गया कदम बता रही है।
सबसे पहले युक्तियुक्तकरण का मतलब समझिए
युक्तियुक्तकरण एक सरकारी शब्द है। आसान भाषा में समझा जाए तो इसका मतलब है दो चीजों को साथ में मर्ज कर देना, एक सिस्टम के तहत। उदाहरण से समझिए, किसी कंपनी के एक ही शहर में दो ऑफिस हैं। संसाधन और मैन पावर दोनों ऑफिस में अलग-अलग बंट रहे हैं। लेकिन कंपनी को इसकी नीड नहीं है।
कंपनी, सरकार या संगठन के लिए पॉजिटिव, खर्चे कम होंगे
ऐसे में कंपनी दोनों ऑफिस को एक कैंपस में मर्ज कर देगी और मैन पावर को भी अपने सिस्टम के हिसाब से फिल्टर कर देगी। यही युक्तियुक्तकरण है। जिसे अंग्रेजी भाषा में रेशनेलाइजेशन कहते हैं। कंपनी के लिहाज से देखा जाए तो उन्होंने अपना खर्च बचा लिया। एक ही कैंपस होने से मैनेजमेंट आसान हो गया। मैन पावर भी घट गया। यानी पॉजिटिव चेंज है।
कर्मचारियों के लिए नेगेटिव, काम का बोझ बढ़ेगा
लेकिन अब इसी चीज को कर्मचारियों के नजर से देखिए। कर्मचारी के साथ हुआ यह कि कुछ की नौकरी चली गई। कुछ को अब घर से लंबा सफर तय कर ऑफिस आना पड़ेगा। इसके अलावा कंपनी अलग-अलग ऑफिस के लिए जो वैकेंसी निकालती थी, वो अब एक ही ऑफिस के लिए निकालेगी। यानी वैकेंसी घट जाएगी। और जो एम्प्लाय बच गए हैं, उन पर वर्क लोड बढ़ेगा। जोकि नेगेटिव है।
कर्मचारियों को सरप्लस दिखा कर होता है बदलाव
यानी युक्तियुक्तकरण वो प्रक्रिया है, जिसे पूंजीवादी नियोजक और कोई सरकार अपने कर्मचारियों पर काम का बोझ बढ़ाने। उन्हें अधिशेष यानी सरप्लस शो करते हुए दूसरे कामों में लगाने या उनकी छंटनी करने के लिए प्रयोग करते हैं। यही प्रक्रिया छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों और शिक्षकों के लिए फॉलो की जा रही है।
आंकड़ों पर खेलकर बदलाव करना चाहती है सरकार
नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 के तहत ये सुझाव दिया गया है कि एक क्लास में 30 से अधिक छात्रों की संख्या नहीं होनी चाहिए। यानी 30 छात्रों पर एक शिक्षक होना चाहिए। अभी छत्तीसगढ़ में सरकार के दिए आंकड़ों के मुताबिक, प्राइमरी स्कूल में लगभग 22 बच्चों पर एक शिक्षक है। और प्री मिडिल स्कूल में लगभग 26 बच्चों पर एक शिक्षक है।
NEP के हिसाब से हम अच्छी स्थिति में
यानी NEP (नेशनल एजुकेशन पॉलिसी) के मुताबिक, छत्तीसगढ़ की स्थिति काफी बेहतर है लेकिन यह एक साइड है। दूसरा साइड ये है कि प्रदेश के 30,700 प्राइमरी स्कूलों में 6,872 स्कूल ऐसे हैं, जहां सिर्फ एक ही टीचर है। और 212 ऐसे हैं, जहां एक भी शिक्षक नहीं हैं। वहीं 13,149 प्री मिडिल स्कूलों में से 255 स्कूलों में एक ही टीचर है।
इसी कैटेगरी में 48 स्कूल ऐसे हैं, जहां एक भी टीचर नहीं है। इसी आंकड़े को सामने रखकर सरकार कह रही है कि, हमारे पास शिक्षक पर्याप्त हैं, लेकिन इनका बंटवारा सही तरीके से नहीं हुआ है। यानी कुछ स्कूलों में शिक्षकों की संख्या सरप्लस हैं। जिन्हें जरूरत मंद स्कूलों में भेजा जाए तो शिक्षक की कमी पूरी हो जाएगी।
प्राइमरी और प्री मिडिल में सीधे 5 हजार शिक्षक भर्ती का दबाव हटेगा
सरकार युक्तियुक्तकरण से जो चीजें करने वाली है, उसमें पहला शिक्षकों की हेरा-फेरी और दूसरा कम छात्र संख्या वाले स्कूल को नजदीकी स्कूलों में मर्ज कर दो। इससे सीधा-सीधा सरकार पर शिक्षक भर्ती का दबाव कम हो जाएगा।
करेंट सिचुएशन में सरकार को कमी पूरा करने के लिए सिर्फ इन दो कैटेगरी के स्कूलों में 12,832 शिक्षकों को सरकारी सिस्टम में लाना होगा। लेकिन युक्तियुक्तकरण के बाद यह आंकड़ा 5,370 के करीब हो जाएगा।