सीजी भास्कर Shashi Tharoor Meeting Absence: कांग्रेस के रणनीतिक पैनल की महत्वपूर्ण बैठक रविवार को संपन्न हुई, लेकिन एक बार फिर सांसद शशि थरूर की खाली कुर्सी चर्चा का केंद्र बन गई। यह लगातार दूसरी बार है जब पार्टी की प्रमुख बैठक में थरूर मौजूद नहीं थे। इस गैरमौजूदगी ने स्वाभाविक रूप से कई तरह की अटकलों को जन्म दिया, जिन्हें उनके कार्यालय की ओर से जल्दी शांत करने की कोशिश भी की गई।
थरूर की मां की देखभाल और केरल में चुनाव प्रचार बना कारण
शशि थरूर के कार्यालय ने स्पष्ट किया कि वह इन दिनों केरल में अपनी 90 वर्षीय मां की सेवा में लगे हुए हैं और साथ ही स्थानीय निकाय चुनाव के प्रचार में भी व्यस्त हैं। इसी वजह से वह दिल्ली लौटकर बैठक में शिरकत नहीं कर पाए।
दिलचस्प बात यह भी रही कि पार्टी के महासचिव केसी वेणुगोपाल भी इसी कारण बैठक में नहीं पहुंचे, जिससे दक्षिण भारत के चुनावी माहौल की गंभीरता का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
Shashi Tharoor Meeting Absence: SIR वाली अहम बैठक में भी नहीं पहुंचे थे, तब दी थी ‘स्वास्थ्य खराब’ की वजह
कुछ दिन पहले विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) पर चर्चा के लिए पार्टी नेतृत्व ने एक अहम बैठक बुलाई थी। वहां भी थरूर नजर नहीं आए। उस समय उन्होंने अपनी तबीयत ठीक न होने का हवाला दिया था, जबकि ठीक एक दिन पहले वह प्रधानमंत्री के सार्वजनिक कार्यक्रम में मौजूद थे और कार्यक्रम को लेकर सोशल मीडिया पर सकारात्मक टिप्पणी भी की थी।
यही सिलसिला राजनीतिक गलियारों में नए प्रश्न खड़े कर रहा है।
पीएम की तारीफ़ और पार्टी लाइनों से बाहर संकेत, सियासी गलियारों में नई चर्चा
थरूर का प्रधानमंत्री से जुड़े कार्यक्रमों में शामिल होना और कई मौकों पर उनकी तारीफ़ करना किसी से छिपा नहीं है। पार्टी के भीतर यह मुद्दा कई बार उठ चुका है कि उनका रुख अक्सर ‘मुख्य धारा’ से थोड़ा अलग दिखाई देता है।
यही वजह है कि इन लगातार अनुपस्थितियों के बाद अब नए कयास लगाए जा रहे हैं—क्या थरूर भविष्य में कोई बड़ा राजनीतिक निर्णय ले सकते हैं? क्या वह अपनी नई राजनीतिक दिशा खोज रहे हैं? हालांकि उन्होंने अभी तक किसी भी तरह के बदलाव की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की है।
Shashi Tharoor Meeting Absence: पार्टी में असहज चुप्पी, थरूर की अगली चाल पर सबकी नज़र
दिल्ली की बैठक में उनका अनुपस्थित रहना एक तरफ जहां व्यक्तिगत कारणों की वजह बताई जा रही है, वहीं दूसरी तरफ यह भी साफ है कि यह मामला केवल अनुपस्थित रहने भर का नहीं रहा। कांग्रेस के भीतर कई नेता इसे एक ‘सिग्नल’ की तरह देख रहे हैं, जो आने वाले दिनों में किसी बड़े राजनीतिक घटनाक्रम की ओर इशारा कर सकता है।
फिलहाल, थरूर की तरफ़ से अगला कदम क्या होगा, इसी का इंतज़ार है—और शायद यही उनकी चुप्पी को और ज्यादा अर्थपूर्ण बना देता है।
