सीजी भास्कर, 29 जुलाई |
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। गीदम में पदस्थ डॉक्टर देवेंद्र प्रताप 1408 दिनों तक बिना छुट्टी लिए ड्यूटी से गायब रहे। इसके बावजूद उन्हें हाल ही में ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर (BMO) बना दिया गया है। इस दौरान वे जगदलपुर में अपनी पत्नी के साथ एक निजी अस्पताल भी चला रहे थे, जो मरीज की मौत के बाद सील कर दिया गया था।
बिना सूचना 46 महीने तक गैरहाजिर
डॉ. देवेंद्र प्रताप 21 अगस्त 2021 से 1408 दिनों तक अपने कार्यस्थल से अनुपस्थित रहे। विभाग की ओर से उन्हें पांच बार नोटिस भी भेजे गए, लेकिन उन्होंने एक बार भी जवाब नहीं दिया। फिर भी उन्होंने ज्वॉइनिंग से पहले उप संचालक को “पारिवारिक कारण” बताकर सेवा में वापसी की और BMO पद पर तैनात हो गए। CMHO अजय रामटेके का कहना है कि नियुक्ति ऊपर से हुई है।
गैरहाजिरी के दौरान निजी अस्पताल चलाया
इस दौरान डॉ. देवेंद्र और उनकी पत्नी ने “श्री बालाजी केयर मल्टी-स्पेशलिटी हॉस्पिटल” के नाम से जगदलपुर में अस्पताल शुरू किया। लेकिन अगस्त 2024 में बीजापुर निवासी रामपाल यादव की मौत के बाद अस्पताल विवादों में आ गया। परिजनों के अनुसार, मामूली घुटने के दर्द के इलाज में लापरवाही बरती गई, और मरीज की मौत हो गई।
अस्पताल पर छापेमारी, सीलिंग और खुलासा
मरीज की मौत के बाद परिजनों ने जमकर हंगामा किया। मौके पर पहुंचे स्वास्थ्य विभाग और तहसील प्रशासन ने पाया कि अस्पताल का न तो वैध पंजीकरण था, न ही डॉक्टर मौजूद थे। इसके बाद अस्पताल को सील कर दिया गया।
हालांकि, नर्सिंग होम एक्ट के नोडल अधिकारी डॉ. श्रेयांश जैन का कहना है कि अस्पताल का रजिस्ट्रेशन बाद में हो गया था और एक महीने बाद फिर से शुरू कर दिया गया। वहीं, CMHO डॉ. संजय बसाख ने इसे फर्जी अस्पताल करार दिया था।
5 बार भेजे गए थे नोटिस, एक भी जवाब नहीं
- 23 मई 2022
- 6 जून 2022
- 10 मार्च 2023
- 23 सितंबर 2023
- 12 जून 2024
हर बार नोटिस के बावजूद डॉक्टर प्रताप ने जवाब नहीं दिया।
पहले भी विवादों में रहे डॉक्टर
साल 2021 में कोविड अस्पताल प्रभारी रहते हुए एक मरीज को अस्पताल से बाहर निकालने पर भारी बवाल मचा था। लोगों ने चक्काजाम कर दिया था और उन्हें हटाने की मांग की थी। इसके बाद तत्कालीन कलेक्टर के आदेश पर उन्हें हटा दिया गया। तभी से वे ड्यूटी से नदारद थे और जगदलपुर में निजी अस्पताल चला रहे थे।
क्या बोले अधिकारी?
नोडल अधिकारी डॉ. श्रेयांश जैन: “अब अस्पताल के पास रजिस्ट्रेशन है। पहले नहीं था, इस पर मैं कुछ नहीं कह सकता।”
CMHO अजय रामटेके: “उन्हें पद ऊपर से मिला है, हमारे हाथ में कुछ नहीं।”
CMHO डॉ. संजय बसाख: “बिना अनुमति अस्पताल चलाया गया, मरीज की मौत हुई, अस्पताल सील किया गया।”