सीजी भास्कर, 07 जुलाई। एक साहूकार को नदी पार करने के लिए नाव की जरूरत थी। नाविक ने ताना दिया कि पैसे वाले हो तो पुल क्यों नहीं बनवा लेते। यह बात साहूकार के दिल पर लग गई।
साहूकार ने नाविक की बात को चुनौती के रूप में लेते हुए अगले कुछ महीनो में नदी पर पुल तैयार करवाया। ये पुल आज भी मजबूती से खड़ा है लेकिन अब इसके अस्तित्व पर संकट छा गए हैं। ये कहानी है एक पुल की, जिसका इतिहास 200 साल से भी पुराना है।
राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा NH 124D के निर्माण और एक नए पुल के प्रस्ताव के चलते इस पुराने पुल को तोड़ने की बात चल रही है। हालांकि, स्थानीय समाजसेवी और नागरिक इस धरोहर को बचाने के लिए NHAI अधिकारियों से लगातार संपर्क कर रहे हैं और इसके सौंदर्यीकरण व संरक्षण की मांग कर रहे हैं।
नदी के जरिए आवागमन और व्यवसाय
गाजीपुर नदी के किनारे बसा हुआ है। पहले के समय आवागमन और व्यवसाय भी नदी के माध्यम से हुआ करता था। करीब 200 साल पहले तब सैदपुर सादात मार्ग पर हीरानंदपुर गांव के पास गांगी नदी बहा करती थी। इसी नदी को पार कर लोग जिला मुख्यालय या तहसील मुख्यालय पहुंचते थे।
उस वक्त सादात इलाके के भोला साव एक बड़े साहूकार के रूप में जाने जाते थे और उन्हें उन दिनों तहसील मुख्यालय किसी कार्य से आना था।
उन्होंने नदी किनारे पहुंचकर नाविक को आवाज़ लगाई, तब नाविक ने उन्हें खुद पुल बनवाने का ताना दिया और उस ताने के बाद साहूकार भोलानाथ ने निर्णय लिया कि आगे से कभी नाव यात्रा नहीं करेंगे। इसके बाद उन्होंने उस नदी पर स्वयं के खर्चे पर पुल का निर्माण कर डाला जो आज भी मौजूद है।
क्या टूट जाएगा पुल?
इसी पुल के बगल से होकर एक हाईवे 124 डी भी निकल रही है। उस हाईवे के बनने को लेकर इस पुल को भी तोड़े जाने की बात आ रही है।
इसकी जानकारी कुछ दिनों पहले स्थानीय लोगों को हुई थी, तब उस वक्त कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पहल करते हुए एनएचआई के अधिकारियों से संपर्क कर इस पुल को न तोड़ने के लिए ज्ञापन सौंपा था।
क्योंकि इसे स्थानीय लोग धरोहर मानते हैं, तब एनएचआई के जनरल मैनेजर ने आश्वासन दिया था कि पुल की मरम्मत और सुंदरीकरण कर यथावत रखा जाएगा।
लेकिन अब, नए पुल निर्माण का मामला फिर से सामने आने के साथ, पुराने पुल को तोड़ने की चर्चाएं तेज हो गई हैं।
क्षेत्र के निवासी संजय सिंह ने एक बार फिर NHAI अधिकारियों से अपील की है कि इस पुराने पुल को न तोड़ा जाए। उन्होंने मांग की है कि इसे पैदल यात्रियों के लिए यथावत रखा जाए और इसका मरम्मत व सौंदर्यीकरण कराया जाए, ताकि आने वाली पीढ़ियां भी इस ऐतिहासिक धरोहर और इसके पीछे की कहानी को जान सकें।
इस संबंध में NHAI से पत्राचार करने वाले आशुतोष ने बताया कि जिस मैनेजर को पहले पत्र दिया गया था। उनका तबादला हो चुका है और उसके बाद तीन और मैनेजर बदल चुके हैं।
वर्तमान में, ऐतिहासिक पुल के बगल में नए पुल का निर्माण कार्य चल रहा है। आशुतोष ने उम्मीद जताई है कि आने वाले समय में इस पुल का सौंदर्यीकरण करा कर इसकी ऐतिहासिकता बरकरार रखी जाएगी।