सीजी भास्कर 23 जुलाई
कोंडागांव/बिहार: भक्ति की जब मिसाल दी जाएगी, तो बिहार के उपेंद्र दास का नाम ज़रूर लिया जाएगा। भगवान के प्रति उनकी आस्था और समर्पण ने आज उन्हें “आज का हनुमान” बना दिया है। उपेंद्र दास, जो मूल रूप से बिहार के बैजनाथ धाम क्षेत्र के बेलर धूधनिया गांव के रहने वाले हैं, बीते दो सालों से एक ऐसी अद्भुत और दुर्लभ यात्रा पर हैं जिसे सुनकर हर कोई हैरान रह जाता है।
सड़क पर लेटकर कर रहे हैं 3,000 KM की यात्रा
6 मार्च 2022 से शुरू हुई ये यात्रा गंगोत्री से शुरू होकर रामेश्वरम तक जारी है — कुल दूरी लगभग 3000 किलोमीटर। सबसे खास बात ये है कि उपेंद्र दास इस यात्रा को पैदल भी नहीं कर रहे, बल्कि सड़क पर लेट-लेटकर (जिसे स्थानीय भाषा में “कर नापना” कहा जाता है) आगे बढ़ रहे हैं।
अब तक वे उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे 5 राज्यों की सीमाएं पार कर चुके हैं। इस वक्त वे छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले में हैं और उनका अगला पड़ाव है — तमिलनाडु।
दिनचर्या और साधना
उनकी दिनचर्या अत्यंत सादा और भक्तिमय है। रोज़ सुबह उठते ही वे सड़क पर लेटते हैं और प्रणाम मुद्रा में कुछ दूरी तय करते हैं। जब थकान होती है तो सड़क किनारे या मंदिर में विश्राम करते हैं। जहाँ भी कोई मंदिर दिखता है, वे वहीं रुक जाते हैं, पूजा करते हैं और फिर अपनी यात्रा शुरू कर देते हैं।
“भगवान को जितना समय परिवार को देना चाहिए”
52 वर्षीय उपेंद्र दास एक शिवभक्त परिवार से आते हैं। उनका मानना है कि “जिस तरह हम अपने परिवार को समय देते हैं, उसी तरह भगवान को भी देना चाहिए।” यही सोच उन्हें इस आध्यात्मिक यात्रा की ओर लेकर गई।
लोग दे रहे ‘आज का हनुमान’ का दर्जा
उनकी दृढ़ श्रद्धा, कठिन साधना और समर्पण को देखकर राह चलते लोग उन्हें ‘आज का हनुमान’ कहकर सम्मानित कर रहे हैं। लोगों में उनकी यात्रा को लेकर श्रद्धा और जिज्ञासा दोनों है।
जब उनसे पूछा गया कि वे रामेश्वरम कब तक पहुँचेंगे, तो वे मुस्कराकर कहते हैं — “जब राम चाहेंगे, तब पहुँचेंगे। राम के चरणों में माथा टेकना ही जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है।”
परिवार को है गर्व
उनकी इस कठिन यात्रा को लेकर उनके परिवार वालों को गर्व है। उनका मानना है कि उपेंद्र दास के माध्यम से पूरा गांव और राज्य पुण्य कमा रहा है। साथ ही लोग उनकी भक्ति से प्रेरित हो रहे हैं।