सीजी भास्कर, 11 सितम्बर। कभी लाल आतंक की पहचान रहा बस्तर अब नए दौर में कदम रख चुका है। यहां की वादियां अब गोलियों की गूँज से नहीं, बल्कि विकास की धुन से गूंज रही हैं। (Transforming Bastar Story)
बस्तर इन्वेस्टर कनेक्ट कार्यक्रम ने इस बदलाव को और मजबूत कर दिया है। यहां ₹967 करोड़ से अधिक के निवेश प्रस्ताव मिले हैं, जिससे 2100 से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा। यह बदलाव (Transforming Bastar Story) की सबसे बड़ी मिसाल माना जा रहा है।
रेल–सड़क परियोजनाएं यहां का चेहरा बदल रही हैं। रावघाट–जगदलपुर नई रेल लाइन और केके रेल लाइन का दोहरीकरण क्षेत्र की कनेक्टिविटी को बदल देगा। यह (Infrastructure Development) न केवल व्यापार को बढ़ावा देगा बल्कि पर्यटन और शिक्षा क्षेत्र में भी नई ऊर्जा भरेगा।
बात जब बस्तर की आती है, तो यहाँ की सड़क परियोजनाएँ भी उल्लेखनीय हैं। 2300 करोड़ की लागत से नए मार्ग बन रहे हैं। धमतरी से जगदलपुर तक का वैकल्पिक रास्ता और अबूझमाड़ से दंतेवाड़ा जाने वाला नेटवर्क, बस्तर को (Road Connectivity) का नया मॉडल बना रहा है।
बड़े निवेशों की सूची लंबी है। एनएमडीसी ने 43,000 करोड़ का वादा किया है। वहीं सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के लिए 200 करोड़ का निवेश हुआ है। निजी निवेश ने भी (Private Sector Growth) की दिशा में बड़ा योगदान दिया है। जगदलपुर में बन रहा 350 बेड का निजी अस्पताल केवल स्वास्थ्य ही नहीं बल्कि विश्वास की नई इमारत खड़ी करेगा। 550 करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट से (Healthcare Expansion) होगा और बस्तर मेडिकल शिक्षा का नया केंद्र बनेगा।
किसानों के लिए भी नई राहें खुली हैं। फूड प्रोसेसिंग इकाइयाँ और राइस मिलें किसानों को सीधे लाभ पहुंचाएंगी। नारायणपुर की परियोजना से (Agri Value Addition) होगा और युवाओं को भी रोजगार मिलेगा। पर्यटन और वेलनेस के क्षेत्र में बस्तर देश का नया आकर्षण बन सकता है। जंगल, झरने और संस्कृति को अब रिजॉर्ट्स और क्लब्स के जरिये (Tourism Development) की पहचान मिलेगी।
सिर्फ बड़े उद्योग ही नहीं, छोटे उद्यमी भी बदलते बस्तर का हिस्सा बन रहे हैं। पीएमएफएमई और पीएमईजीपी जैसी योजनाओं ने (Entrepreneurship Support) को नई ऊँचाई दी है।
महिलाएँ और युवा अब आत्मनिर्भर होकर अपनी पहचान बना रहे हैं। नई पुनर्वास नीति ने आत्मसमर्पित नक्सलियों के लिए जीवन की नई राह बनाई है।
यह कदम (Social Empowerment) का सबसे संवेदनशील उदाहरण है, जिससे समाज का हर वर्ग विकास की धारा में शामिल हो रहा है।
आज का बस्तर संघर्ष की भूमि से निकलकर विश्वास और अवसर की धरती बन चुका है। यह क्षेत्र अब (Inclusive Growth) का ज्वलंत प्रतीक है, जहाँ निवेश, रोज़गार और विकास एक नई कहानी लिख रहे हैं।