सीजी भास्कर, 02 मई : भारत विभिन्न रीति-रिवाजों और परंपराओं से समृद्ध है। उत्तर प्रदेश के कौशांबी (Unique Wedding) जिले में एक ऐसा मोहल्ला है, जहां शादी के बाद दामाद अपनी ससुराल में ही निवास करते हैं।
कौशांबी के करारी कस्बे में स्थित किंग नगर मोहल्ला आज ‘दामादों का पुरवा’ के नाम से जाना जाता है। यहां लगभग 40 से 50 दामाद अपनी पत्नियों के साथ उनके मायके में रहते हैं। इस परंपरा की शुरुआत तब हुई थी जब गांव की बुजुर्ग महिलाओं ने अपनी बेटियों पर हो रहे अत्याचारों से दुखी होकर यह निर्णय लिया। उन्होंने घोषणा की कि दामाद को उनकी बेटियों के मायके में ही रखा जाएगा।
दहेज उत्पीड़न, भ्रूण हत्या और घरेलू हिंसा जैसी समस्याओं का सामना करने के लिए बुजुर्गों ने एक अनोखी पहल की है। इस मोहल्ले में शादी (Unique Wedding) के बाद लड़के को अपनी ससुराल में रहना होता है, और उसे वहीं का स्थायी सदस्य माना जाता है।
यदि कोई दामाद बेरोजगार होता है, तो मोहल्ले के लोग मिलकर उसकी रोजगार खोजने में मदद करते हैं, ताकि वह आत्मनिर्भर बन सके और अपने परिवार का भरण-पोषण कर सके। इस मोहल्ले में लगभग 50 ऐसे परिवार निवास करते हैं।
दामादों के मोहल्ले की पहचान बनी अलग (Unique Wedding)
समाज की सामान्य धारणाओं के विपरीत, इस मोहल्ले ने दामादों को अपनाकर न केवल बेटियों की सुरक्षा सुनिश्चित की, बल्कि सामाजिक परिवर्तन की एक नई मिसाल भी पेश की। आज इसे ‘दामादों का पुरवा’ के नाम से जाना जाता है। कौशांबी का यह गांव अब उन स्थानों में शामिल है, जहां बेटियों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है। इसके साथ ही, एक नई परंपरा की शुरुआत हुई है, जो समाज को सोचने पर मजबूर करती है।