सीजी भास्कर 28 नवंबर पश्चिम बंगाल में चल रही West Bengal SIR Controversy ने शुक्रवार को नया मोड़ ले लिया। वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के दौरान बीएलओ समेत कुल 40 मौतों के मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य चुनाव आयुक्त से मुलाकात की।
बैठक के बाद टीएमसी नेताओं ने कहा कि SIR प्रक्रिया ने कई परिवारों को सीधा प्रभावित किया है और “इसकी जिम्मेदारी कोई लेने को तैयार नहीं है।”
प्रतिनिधिमंडल ने मृतकों की सूची आयोग को सौंपते हुए इसे “अत्यंत गंभीर लापरवाही” बताया, जिसे लेकर राज्यभर में बेचैनी बढ़ी है।
डेरेक ओ’ब्रायन का आरोप – ‘हाथ खून से सने हैं’, नहीं मिला एक भी जवाब
मुलाकात के बाद वरिष्ठ सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव आयोग के सामने 5 सीधे सवाल रखे, लेकिन “किसी एक का भी जवाब नहीं दिया गया।”
उन्होंने यह भी कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त सहित पूरी टीम “आवाज़ उठा रहे लोगों की पीड़ा से अनजान” लग रही थी।
डेरेक का बयान—“हमने शुरुआत ही इस बात से की कि उनके हाथ blood-stained hands की तरह दिख रहे हैं”—ने राजनीतिक माहौल और गर्म कर दिया।
West Bengal SIR Controversy : महुआ मोइत्रा का सवाल – जब फॉर्म पहले से मौजूद हैं, तो SIR की जरूरत क्यों?
बैठक में शामिल एक अन्य सांसद ने कहा कि आयोग ने यह स्पष्ट किया कि केवल चार कारणों से नाम हटाए जाएंगे—मृत मतदाता, स्थायी पलायन, डुप्लीकेट वोटर और non-citizen voters।
महुआ मोइत्रा ने पूछा कि जब मृतकों के नाम हटाने के लिए पहले से Form-7, पलायन करने वाले लोगों के लिए Form-8, और डुप्लीकेट पहचान के लिए सॉफ्टवेयर का प्रावधान है, तो SIR का अतिरिक्त दबाव क्यों बनाया गया?
उन्होंने यह भी कहा कि जिन 40 लोगों की मौत की सूची आयोग को दी गई, उनमें 18 बीएलओ थे—और “चौंकाने वाली बात यह रही कि आयोग को इसकी जानकारी तक नहीं थी।”
विपक्ष भी सक्रिय, कई दलों ने प्रक्रिया पर उठाए सवाल
SIR प्रक्रिया को लेकर केवल टीएमसी ही नहीं, बल्कि दूसरी पार्टियां भी अपने–अपने स्तर पर सवाल उठा चुकी हैं।
सूत्रों के मुताबिक, राज्य के कई राजनीतिक दलों ने चुनाव आयोग से अलग–अलग बैठकों में यही पूछा कि “अचानक और इतने सख़्ती वाले पुनरीक्षण की जरूरत कैसे पड़ी?”
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह विवाद आने वाले महीनों में राज्य की राजनीति का बड़ा मुद्दा बनने वाला है।
प्रतिनिधिमंडल में शामिल रहे ये नेता
टीएमसी की ओर से बैठक में कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे—जिनमें डेरेक ओ’ब्रायन, महुआ मोइत्रा, कल्याण बनर्जी, शताब्दी रॉय, प्रतिमा मंडल, डोला सेन, ममता ठाकुर, सजदा अहमद, साकेत गोखले और प्रकाश चिक बारीक शामिल थे।
लगभग दो घंटे चली इस बैठक में प्रतिनिधिमंडल ने SIR प्रक्रिया को “मानवीय संकट” बताते हुए तत्काल पुनर्विचार की मांग की।
पार्टी का कहना है कि “यह सिर्फ प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि लोगों की जिंदगी और सुरक्षा से सीधे जुड़ा हुआ मामला है।”
