सीजी भास्कर, 5 जुलाई |
छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग ने एक एडवाइजरी जारी की है। आम लोगों के लिए स्नेक बाइट को लेकर दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। दरअसल बारिश के मौसम में सांप काटने के मामले बढ़ जाते हैं। ऐसे में विभाग ने अपील की है कि इस स्थिति में झाड़ फूंक ना करें सीधे पीड़ित को अस्पताल लेकर जाएं।
विभाग की ओर से कहा गया है कि सर्प दंश में ओझा- बैगा के झाड़-फूंक पर विश्वास कर समय गंवाने से व्यक्ति की मौत भी हो सकती है। सर्प दंश की स्थिति में सीधे नजदीकी अस्पताल पहुंचकर इलाज कराना जरूरी है।
स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, जहरीले सांपों के काटने का इलाज अस्पतालों में उपलब्ध एंटीवेनम से ही होता है। किसी प्रकार के झाड़-फूंक करवाने से यह ठीक नहीं हो सकता, बल्कि इसमें समय गंवा देने पर अक्सर पीड़ित व्यक्ति गंभीर हो जाता है और बाद में अस्पताल लाने पर डॉक्टरों को उस मरीज पर बहुत मेहनत करनी पड़ती है।
कई प्रकरणों में जहर पूरे शरीर में फैल जाता है जिस कारण जान बचाना भी काफी मुश्किल रहता है। इसलिए ऐसे प्रकरणों में तुरंत अस्पताल आना ही सही है जहां इसका निःशुल्क इलाज किया जाता है।
हर साल देश भर में 30-40 लाख लोग सर्पदंश का शिकार
भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में हर साल 30-40 लाख लोग सर्पदंश का शिकार बनते हैं, जिसमें से 50 हजार से ज्यादा की जान चली जाती है। यह आंकड़ा दुनिया भर के सर्पदंश से होने वाली मौतों का आधे से ज्यादा है।
चौंकाने वाली बात ये है कि सिर्फ 30% पीड़ित ही हॉस्पिटल पहुंच पाते हैं। सांप काटने के अधिकांश मामले मानसून में ही सामने आते हैं।
जहरीले सांप को पहचाने
भारत में 4 सांप ऐसे हैं, जो सबसे ज्यादा मौतों के लिए जिम्मेदार हैं। इसमें कोबरा का न्यूरोटॉक्सिक जहर सांस लेने की प्रक्रिया को रोक देता है। वहीं रसेल वाइपर का हीमोटॉक्सिक जहर खून को जमाता है और अंदरूनी ब्लीडिंग की वजह बन सकता है। आइए भारत के 4 सबसे जहरीले सांपों के बारे में जानते हैं…
सांप काटने के लक्षण
सांप के काटने के बाद शरीर में कई तरह के लक्षण दिख सकते हैं, जो इस बात पर निर्भर करते हैं कि सांप जहरीला है या नहीं। जहरीले सांप के काटने पर आमतौर पर कुछ लक्षण दिखाई दे सकते हैं।