सीजी भास्कर, 20 मार्च । 10 किलोमीटर पैदल चलने और 8 किलोमीटर बस में सफर करने के बाद कलेक्टर कार्यालय न्याय की तलाश में पहुंचे 70 वर्षीय बुजुर्ग को नीमच जिले (MP News) में अपनी समस्या सुनाना महंगा पड़ गया।
जमीन के सीमांकन और बटांकन के 6 महीने पुराने आदेश का पालन न होने से परेशान जगदीश दास बैरागी ने जनसुनवाई के दौरान एसडीएम संजीव साहू के सामने अपनी बात ऊंची आवाज में रखी, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें कैंट थाने में घंटों भूखा-प्यासा बैठाया गया। यह घटना प्रशासनिक संवेदनहीनता को उजागर करती है।
जगदीश दास बैरागी (70) अपने गांव अड़मालिया (MP News) से 10 किलोमीटर पैदल और 8 किलोमीटर बस से यात्रा करके कलेक्टर कार्यालय पहुंचे। सुबह बिना नाश्ता किए घर से निकलने वाले जगदीश ने बताया कि वे हर मंगलवार को जनसुनवाई में अपनी शिकायत लेकर आते हैं।
छह महीने पहले, तत्कालीन एसडीएम ममता खेड़े ने उनकी जमीन के सीमांकन और बटांकन का आदेश दिया था, लेकिन इसका पालन नहीं हुआ। 18 मार्च को भी वे जनसुनवाई में आए। एक घंटे इंतजार करने के बाद भी जब सुनवाई नहीं हुई, तो उन्होंने एसडीएम संजीव साहू के सामने अपनी समस्या को ऊंची आवाज में रखा।
(MP News) इसके बाद, दोपहर लगभग 1 बजे, कैंट थाने के दो पुलिसकर्मी कलेक्ट्रेट के निकट स्थित तहसील कार्यालय पहुंचे और जगदीश को जबरदस्ती बाइक पर बैठाकर थाने ले गए।
वहां उन्हें शाम 6 बजे तक भूखा-प्यासा बैठाकर रखा गया, और फिर नंगे पांव छोड़ दिया गया। जगदीश ने बताया कि वे किसी तरह बस स्टैंड पहुंचे और वहां से अपने गांव के लिए रवाना हुए।
जगदीश ने कहा कि उन्होंने सुबह 6 किलोमीटर पैदल चलकर रेवली-देवली पहुंचने के बाद बस से नीमच बस स्टैंड आए, और फिर वहां से 4 किलोमीटर पैदल चलकर कलेक्टर कार्यालय पहुंचे। लेकिन उनकी गुहार सुनने के बजाय उन्हें अपमान और सजा का सामना करना पड़ा।
इस मामले में कलेक्टर हिमांशु चंद्रा ने मीडिया से कहा, “यह मामला मेरे ध्यान में आया है। बुजुर्ग को थाने में बिठाने की घटना सामने आई है। मैंने उन्हें बुलाया है और उनका पक्ष सुना जाएगा। एसडीएम को भी बुलाया गया है। दोनों की बात सुनने के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी।”
इस बीच, एसडीएम संजीव साहू ने मामले के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि किसान जगदीश चंद्र बैरागी का बंटाकन से संबंधित मामला चल रहा है। इसी सिलसिले में वे जनसुनवाई में आए थे, लेकिन तहसीलदार की कार्रवाई से असंतुष्ट थे। उन्होंने पेट्रोल डालकर आत्मदाह की धमकी दी, जिसके कारण सुरक्षा के लिहाज से उन्हें पुलिस की निगरानी में भेजा गया। बाद में उन्हें सुरक्षित रूप से बस स्टैंड से बाहर निकाला गया।
(MP News) एसडीएम के अनुसार, जब पड़ोसी किसान की जमीन का सीमांकन किया गया, तो वह जगदीश चंद्र बैरागी के कब्जे में पाई गई। इस पर किसान का आरोप है कि उनकी जमीन पर गलत तरीके से कब्जा कराया गया है। इसके लिए नियमानुसार अपील करने का प्रावधान है। इसके अलावा, उनके बंटाकन के मामले में संबंधित तहसीलदार को तत्काल प्रभाव से समाधान के निर्देश दिए गए हैं।
यह घटना प्रशासन (MP News) की कार्यशैली पर सवाल उठाती है। एक बुजुर्ग की न्याय की मांग को नजरअंदाज कर इस तरह से प्रताड़ित करना संवेदनहीनता का परिचायक है। स्थानीय लोगों ने इस घटना की निंदा करते हुए एसडीएम के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की है।