उत्तर प्रदेश , 10 अप्रैल 2025 :
Sambhal News: उत्तर प्रदेश के संभल की ऐतिहासिक जामा मस्जिद को लेकर एक बार फिर विवाद गहराता जा रहा है. इस बार मामला नाम को लेकर है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI ) ने मस्जिद के बाहर लगाए जाने वाले नए बोर्ड पर जुमा मस्जिद लिखवाया है. दस्तावेज़ों और पुराने समझौतों में यह जामा मस्जिद के नाम से दर्ज है. यही नहीं, 1927 में मस्जिद कमेटी और एएसआई के बीच हुए समझौते में भी इसी नाम का उल्लेख किया गया था.
जामा मस्जिद कमेटी के उप सचिव मशहूद अली फारूखी ने स्पष्ट कहा है कि जब ऐतिहासिक रिकॉर्ड और एग्रीमेंट में जामा मस्जिद लिखा है तो एएसआई को मनमाने ढंग से जुमा नाम का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, उन्होंने बताया कि इस मामले को लेकर जल्द ही एएसआई से बात की जाएगी. 1920 से एएसआई द्वारा संरक्षित इस इमारत का बोर्ड पहले मस्जिद परिसर के भीतर लगा था लेकिन अब इसे बाहर लगाया जाना है. यह बोर्ड तैयार हो चुका है, जिस पर जुमा मस्जिद लिखा गया है.
वहीं मस्जिद इंतजामिया कमेटी के अधिवक्ता शकील वारसी ने कहा कि यह मस्जिद शाही जामा मस्जिद के नाम से प्रसिद्ध है. देशभर में इसी नाम से जानी जाती है. उन्होंने एएसआई द्वारा नाम बदलने को एक नई गलत शुरुआत बताया और कहा कि इससे एक और विवाद खड़ा हो सकता है. उन्होंने बताया कि कमेटी की ओर से जल्द ही इस पर आपत्ति दर्ज कराई जाएगी और मांग की जाएगी कि मस्जिद के ऐतिहासिक नाम से कोई छेड़छाड़ न हो, दूसरी तरफ एएसआई के अधिवक्ता विष्णु कुमार शर्मा का कहना है कि मस्जिद पहले से ही संरक्षित इमारत है और उसका बोर्ड परिसर के भीतर लगा था. अब नया बोर्ड बाहर लगाया जाएगा, लेकिन यह काम एएसआई की सुविधा के अनुसार किया जाएगा.
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मस्जिद का नाम वही रहना चाहिए- कमेटी
गौरतलब है कि 24 नवंबर 2024 को मस्जिद परिसर में सर्वे को लेकर हिंसा हो गयी थी जिसमे 4 लोगो की मौत हुई थी. इसके बाद से यह मस्जिद देशभर में सुर्खियों में बनी हुई है. उधर, हिंदू पक्ष द्वारा 19 नवंबर 2024 को चंदौसी स्थित अदालत में दायर याचिका में मस्जिद का नाम जामी मस्जिद लिखा गया था. जिस पर भी मस्जिद कमेटी ने आपत्ति जताई है. उप सचिव फारूखी का कहना है कि जामा उर्दू शब्द है और जामी अरबी से लिया गया है. दोनों का मतलब एक ही होता है, लेकिन जुमा मस्जिद जैसा कोई शब्द प्रचलन में नहीं है.
कमेटी का स्पष्ट कहना है कि मस्जिद का नाम वही रहना चाहिए जो इतिहास और समझौतों में दर्ज है. जामा मस्जिद कमेटी के वकील शकील वारसी ने कहा इस मामले में हम ASI के सामने अपनी आपत्ति दर्ज करायेगे मस्जिद से सम्बंधित कई मामले में कोर्ट में पहले से चल रहे हैं इसलिए हम नहीं चाहते की कोई नया विवाद शुरू हो हम इसे ASI से बात कर सुलझा लेना चाहते हैं.