सीजी भास्कर 12 मई अगर भारत के पास एपीजे अब्दुल कलाम जैसे 10 लोग होते, तो हम अनुसंधान और विकास के तरीके में वास्तव में बदलाव ला सकते थे. यह बात पूर्व डीआरडीओ वैज्ञानिक प्रहलाद रामाराव ने कही.रामाराव बेंगलुरु में हैं. वह भारत के “मिसाइल मैन” और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा एकत्रित मिसाइल निर्माण टीम का हिस्सा थे. आकाश नामक स्वदेशी सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली, जिस पर उन्होंने और उनकी टीम ने लगभग 15 वर्षों तक काम किया.
8 और 9 मई को पाकिस्तानी मिसाइलों और ड्रोन के हमले को बर्बाद कर दिया.रामाराव ने कहा कि भारत के लिए सबसे बड़ी कठिनाई यह है कि हम व्यक्तिगत रूप से अच्छे हैं, लेकिन एक टीम के रूप में काम नहीं कर सकते. कलाम इस समस्या का समाधान करने में बहुत अच्छे थे. उन्होंने मुझे सिखाया कि कैसे व्यक्तिगत ऊर्जा को एक उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए समन्वय में लाया जाए. इसलिए मुझे लगता है कि अगर हमारे पास 10 कलाम जैसे लोग होते, तो भारत वास्तव में आगे बढ़ सकता था.34 की उम्र में कलाम मिसाइल प्रोजेक्ट के चीफ थेरामाराव ने कहा कि जब वह केवल 34 वर्ष के थे, तब उन्हें सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल परियोजना के परियोजना निदेशक बनाया गया था, जिसे मूल रूप से एसएएम एक्स कहा जाता था और बाद में आकाश प्रणाली का नाम दिया गया.
उन्होंने कहा कि आज के युवा वैज्ञानिक भारत को स्वदेशी नवाचारों से लैस करने में बेहतर सक्षम हैं. मुझे यकीन है कि अगर आप एक और मिसाइल प्रणाली बनाना चाहते हैं, तो इसमें शायद पांच साल लगेंगे क्योंकि नींव तैयार हो चुकी है.25 साल में एक्सपर्ट बना भारत, अब प्रभुत्व कायम करना बाकीरामाराव ने यह भी कहा कि भारतीय विनिर्माताओं की क्षमता भी बहुत बढ़ गई है. उन्होंने कहा कि अब भारतीय उद्योग इतने स्मार्ट हैं कि अगर आप उन्हें एक अवधारणा देते हैं, तो वे इसे बना सकते हैं.उन्होंने स्वीकार किया कि भारत ने पिछले 25 वर्षों में निर्देशित मिसाइलों और रॉकेटों के मामले में परिपक्वता हासिल की है. अभी भी इस क्षेत्र में पूर्ण प्रभुत्व का दावा करने के लिए बहुत लंबा रास्ता तय करना होगा.
रामाराव ने कहा कि अब यह नीति निर्माताओं पर निर्भर करता है कि वे इस विशाल संसाधन का देश के हित में उपयोग करें. हमें निश्चित रूप से कलाम जैसे किसी व्यक्ति की आवश्यकता है, जो हमारी जैसी अनुभवहीन टीम को प्रेरित करने में सफल रहे.आकाश एयर डिफेंस सिस्टमआकाश भारत की स्वदेशी मध्यम दूरी की सतह-से-हवा मिसाइल प्रणाली है, जिसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने विकसित किया है. इसे भारतीय सेना और वायुसेना में 2014 से तैनात किया गया है. इसका उन्नत संस्करण आकाश-NG (नेक्स्ट जेनरेशन) 2021 में शामिल हुआ. यह प्रणाली कम और मध्यम ऊंचाई पर हवाई खतरों, जैसे फाइटर जेट्स, ड्रोन और क्रूज मिसाइलों को नष्ट करने में सक्षम है.