सीजी भास्कर, 19 जून। देहरादून उत्तराखंड में चारधाम यात्रा जोरों शोरों से चल रही है। इसी क्रम में केदारनाथ धाम यात्रा भी हर साल नए रिकॉर्ड बना रही है।
केदारनाथ में श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ाने के साथ ही लोगों के रोजगार में भी काफी इजाफा हो रहा है। केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के बाद 18 जून तक यानि इन 48 दिनों के भीतर घोड़े- खच्चर, हेली, डंडी- कंडी समेत होटल और रेस्तरां व्यापारियों ने करीब 300 करोड़ रुपए का कारोबार कर लिया है।
स्थानीय व्यापारियों, महिला स्वयं सहायता समूहों से लेकर टैक्सी संचालन समेत अन्य व्यवसाय से जुड़े लोगों को काफी लाभ मिल रहा है।
साल 2025 की यात्रा के लिए 2 मई को बाबा केदारनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शन को खुल गए थे। बाबा के कपाट खुले 48 दिन का समय पूरा हो गया है। 2 मई से 18 जून तक बाबा केदार के दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं का आंकड़ा 11 लाख 40 हजार पार पहुंच गया है।
केदारनाथ धाम यात्रा देश की सबसे कठिन धार्मिक यात्राओं में शामिल है। करीब 20 किलोमीटर का कठिन पैदल मार्ग पार करने के बाद हिमालय पर्वत की गोद में बसे 11वें ज्योतिलिंग के दर्शन हो पाते हैं।
इस कठिन पैदल धार्मिक यात्रा में घोड़ा-खच्चरों का बेहद अहम योगदान होता है। असमर्थ और बुजुर्ग श्रद्धालु अक्सर घोड़ा -खच्चरों के जरिए ही यात्रा करते हैं। खाद्य पदार्थ से लेकर अन्य जरूरी सामग्री भी घोड़े खच्चरों के जरिए ही यात्रा मार्गों और केदारपुरी में पहुंचाई जाती है।
मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ आशीष रावत ने बताया दो मई से 18 जून तक 227614 तीर्थ यात्री घोड़े खच्चरों के जरिए दर्शन करने पहुंचे हैं। जिससे 66 करोड़ 73 लाख 90 हजार 350 रुपए की इनकम हुई है। संक्रामक बीमारी इक्वाइन इन्फ्लूएंजा वायरस के चलते कुछ दिनों तक घोड़ा खच्चर संचालन प्रभावित रहा। इस साल करीब 8 हजार घोड़े- खच्चर यात्रा मार्ग पर संचालन के लिए रजिस्टर्ड हैं।
हेली सेवाओं की केदारनाथ धाम यात्रा में अपनी एक अहम भूमिका है। हेली सेवाओं के जरिए हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु बाबा केदार के दर्शन करने पहुंचते हैं।
यही नहीं, रेस्क्यू अभियान के दौरान भी हेली सेवाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। खासकर स्वास्थ्य इमरजेंसी के दौरान मरीज को हायर सेंटर रेस्क्यू भी किया जाता है।
जिला पर्यटन अधिकारी एवं नोडल हेली सेवा राहुल चौबे ने बताया इस साल आठ हेली कंपनियां, नौ हेलीपैड से अपना संचालन कर रही हैं।
2 मई से 18 जून तक 49,247 श्रद्धालु हेली सेवाओं के जरिए बाबा केदारनाथ धाम पहुंचे हैं. जिससे करीब 60 करोड़ रुपए की इनकम हुई है। बाबा केदारनाथ धाम के दर्शन के लिए पैदल मार्ग, घोड़े खच्चरों की सुविधा और हेली सेवाओं के साथ ही डंडी- कंडी की सुविधा भी उपलब्ध है।
ऐसे में तमाम श्रद्धालु जो पैदल चलने में असमर्थ होते हैं वो डंडी- कंडी से यात्रा करना पसंद करते हैं। ये सुविधा, छोटे बच्चों के लिहाज से भी यह ज्यादा सुरक्षित माना जाता है। इसके अलावा कई श्रद्धालु खुद पैदल यात्रा कर केवल समान डंडी-कंडी की मदद से केदारपुरी पहुंचा देते हैं।
अपर मुख्य अधिकारी जिला पंचायत रुद्रप्रयाग संजय कुमार ने बताया इस साल की यात्रा के लिए 7000 से अधिक डंडी- कंडी संचालक रजिस्टर्ड हैं। 2 जून से 18 जून तक डंडी-कंडी के जरिए 2 करोड़ 02 लाख 71 हजार 300 रुपए की इनकम हुई है।
इसके अलावा, इसमें गंदगी फैलने और अन्य नियमों के उल्लंघन पर तमाम प्रतिष्ठानों का 4,17,000 रुपए का चालान कर अर्थदंड भी वसूला गया है जो कुल 300 करोड़ के कारोबार में शामिल है।
सहायक परिवहन अधिकारी रुद्रप्रयाग कुलवंत सिंह चौहान ने बताया इस साल केदारनाथ धाम यात्रा में शटल सेवा के लिए 225 गाड़ियां रजिस्टर्ड हैं। इन्हीं गाड़ियों में श्रद्धालु सोनप्रयाग से गौरीकुंड तक पहुंचते हैं. हर यात्री को 50 रुपए जाने और 50 रुपए वापस सोनप्रयाग आने के लिए देने पड़ते हैं।
2 मई से 18 जून तक 11 लाख 40 हजार श्रद्धालु धाम में पहुंच चुके हैं। यानि अब तक टैक्सी संचालक करीब 11 करोड़ 40 हजार रुपए शटल सेवा के जरिए अर्जित कर चुके हैं।
इस साल नई पहल करते हुए 25 गाड़ियां महिला और बुजुर्गों के लिए आरक्षित की गई हैं। प्रति गाड़ी में औसतन 10 सवारी यात्रा कर सकती हैं. इन गाड़ियों में बकायदा स्टीकर भी लगाए गए हैं।
पहले चरण में 25 वाहन ही इसके लिए लिए गए हैं अगर यह प्रयोग सफल रहता है और अधिक गाड़ियों की आवश्यकता महसूस हुई तो गाड़ियों की संख्या बढ़ाई जा सकती है।
केदारनाथ धाम यात्रा मार्ग और केदारपुरी में श्रद्धालुओं की ठहरने की व्यवस्था जीएमवीएन और स्थानीय व्यापारी करते हैं। केदारनाथ धाम यात्रा मार्ग से लेकर केदारपुरी तक स्थानीय लोगों के सैकड़ों होटल, टेंट और रेस्तरां हैं. जिनमें ठहरने और खाने के लिए श्रद्धालु रुकते हैं।
व्यापार संघ अध्यक्ष गौरीकुंड रामचंद्र गोस्वामी ने कहा केदारनाथ धाम यात्रा का स्वरूप हर साल बढ़ता जा रहा है. इस साल भी ऐतिहासिक रूप से यात्रा चल रही है। अकेले गौरीकुंड में करीब 350 प्रतिष्ठान हैं, जबकि पूरे यात्रा मार्ग में 2000 से अधिक होटल, रेस्तरां और टेंट हैं। जहां श्रद्धालुओं के रहने- खाने की व्यवस्था होती है।
केदारनाथ धाम यात्रा पर आने वाले एक यात्री का रहने और खाने का औसत खर्चा 1500 से 2000 रुपए न्यूनतम होता है. इसमें कुछ लोग अपने खाने की व्यवस्था खुद करते हैं। एक महीने में यात्रा पर पहुंचे 11 लाख 40 हजार श्रद्धालुओं के हिसाब से औसत निकाला जाए तो करीब 150 करोड़ रुपए से अधिक होटल, रेस्तरां और टेंट सहित अन्य प्रतिष्ठानों ने कारोबार कर लिया है।
जीएमवीएन के रीजनल मैनेजर गिरवीर रावत ने बताया जीएमवीएन के 15 प्रतिष्ठान केदारनाथ यात्रा मार्ग पर हैं। जिसमें ध्यान गुफा भी शामिल हैं। इन सभी में मिलकर 18 जून तक करीब 5 करोड़ रुपए का कारोबार किया है।