सीजी भास्कर, 20 जून |
छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य विभाग की हमर लैब योजना के तहत हुए बहुचर्चित 411 करोड़ रुपए के घोटाले में आरोपी मोक्षित कॉर्पोरेशन के डायरेक्टर शशांक चोपड़ा को जमानत नहीं मिली है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की सिंगल बेंच ने जमानत अर्जी खारिज करते हुए टिप्पणी की है कि यह संगठित आर्थिक अपराध है, जिससे राज्य सरकार को 411 करोड़ रुपए के आर्थिक नुकसान का अंदेशा है।
आरोपी ने बंद सिस्टम वाले उपकरण सप्लाई कर एकाधिकार बनाया। उसे जमानत देने से भ्रष्टाचार को प्रोत्साहन मिलेगा और समाज में गलत संदेश जाएगा। साल 2021 में स्वास्थ्य विभाग ने राज्य के विभिन्न जिलों में हमर लैब योजना के तहत मेडिकल उपकरणों और रीएजेंट की भारी मात्रा में खरीदी की।
आरोप है कि छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉर्पोरेशन लिमिटेड और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बिना बजट और प्रशासनिक स्वीकृति के उपकरणों की अनावश्यक खरीद की। इस मामले में एसीबी ने मामला दर्ज किया था। एफआईआर के अनुसार सप्लाई करने वाली कंपनियों में मोक्षित कॉर्पोरेशन, सीबी कॉर्पोरेशन, मेडिकेयर सिस्टम, श्री शारदा इंडस्ट्रीज आदि को अनुचित लाभ पहुंचाने की मंशा से उपकरण और रीजेंट वास्तविक कीमत से कई गुना अधिक दर पर खरीदे गए।
मोक्षित कॉर्पोरेशन को मिला था टेंडर: सामान सप्लाई का टेंडर मोक्षित कॉर्पोरेशन को मिला था। फर्म को मशीनों और रीजेंट की सप्लाई का टेंडर मिला था। जांच कर रही एजेंसी का कहना है कि आरोपी ने सरकारी अधिकारियों के साथ मिलकर निविदा शर्तों में हेरफेर कर मनचाही कंपनियों को अनुचित लाभ पहुंचाया।
आरोपी ने अपने रिश्तेदारों और सहयोगियों के नाम पर कई फर्जी कंपनियां बनाकर 150 करोड़ रुपए के फर्जी बिल बनाए। साथ ही, क्लोज सिस्टम वाली मशीनों की सप्लाई कर यह सुनिश्चित किया गया कि भविष्य में केवल उन्हीं की कंपनी से रीजेंट की सप्लाई की जा सके।
राज्य सरकार ने कहा- गंभीर अपराध
राज्य सरकार की तरफ से उपमहाधिवक्ता डॉ. सौरभ पांडे ने जमानत अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि यह गंभीर और सुनियोजित आर्थिक अपराध है, जिसमें सार्वजनिक धन का दुरुपयोग हुआ है। उन्होंने तर्क दिया कि आरोपी मास्टरमाइंड है जिसने निविदा प्रक्रिया को प्रभावित कर नियमों के विरुद्ध अपने पक्ष में एग्रीमेंट करा लिया था। अभी तक मामले में शामिल रहे कई सरकारी अधिकारियों की गिरफ्तारी होनी बाकी है। आरोपी को जमानत मिलने से सबूतों से छेड़छाड़ और गवाहों को प्रभावित करने की आशंका बनी रहेगी।
सामान 2352 रुपए प्रति नग की दर पर खरीदे
गड़बड़ी में EDTA ट्यूब 2352 रुपए प्रति पीस पर खरीदी गई। ये अन्य जगहों पर साढ़े 8 रुपए में उपलब्ध था। इसी तरह CBC मशीनें जो खुले बाजार में 5 लाख रुपए में उपलब्ध थीं, वह 17 लाख रुपए में खरीदी गई।