24 जून 2025 :
Jammu Kashmir on Rakshanda Rashid Deportation: जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि पाकिस्तान डिपोर्ट की गई महिला को भारत वापस लेकर आएं. दरअसल, अप्रैल 2025 में पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने देश में रह रहे पाकिस्तानियों के वीजा कैंसल कर उन्हें 27 अप्रैल तक बॉर्डर पार वापस जाने के निर्देश दिए थे.
जब समय सीमा खत्म हो गई, तो प्रशासन ने पाकिस्तान के नागरिकों को डिपोर्ट करना शुरू किया. इन्हीं में से एक महिला हैं रक्षंदा राशिद. महिला को जम्मू-कश्मीर पुलिस ने पकड़ लिया और पंजाब में अटारी सीमा चौकी पर ले गई, जहां से उन्हें 30 अप्रैल को पाकिस्तान भेज दिया गया.
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, रक्षंदा बीते 38 साल से भारत में रह रही थीं. यहां उनके पति और दो बच्चे रहते हैं. फिलहाल, वह लाहौर के एक होटल में फंसी हुई हैं.
सुनवाई वाले दिन महिला को किया था डिपोर्ट
अप्रैल में रक्षंदा राशिद डिपोर्टेशन के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंची थीं. 30 अप्रैल को, जिस दिन उनके केस की सुनवाई थी, उन्हें डिपोर्ट कर दिया गया. रक्षंदा राशिद के पति रिटायर्ड सरकारी अधिकारी ने जस्टिस राहुल भारती के सामने अपना पक्ष रखते हुए बताया कि उनकी पत्नी का पाकिस्तान में कोई नहीं हैं और वह कई बीमारियों से ग्रसित हैं. ऐसे में हर दिन उनकी जान पर खतरा बढ़ रहा है.
रक्षंदा के पास न पैसे और न बात करने का जरिया
कोर्ट को रक्षंदा राशिद की बेटी ने बताया कि बॉर्डर पार करते समय नियमों के अनुसार मां के पास केवल 50 हजार रुपये थे. उनके पास जल्द ही ये पैसे खत्म हो जाएंगे. पहले वह एक पेइंग गेस्ट हाउस में रह रही थीं. फिर लाहौर के एक होटल में रहने लगीं. कुछ समय में उनका फोन काम करना बंद कर देगा. वह पाकिस्तान में सिम कार्ड भी नहीं खरीद सकतीं, क्योंकि विदेशी हैंडसेट पाकिस्तान में काम नहीं करते.
बेटी ने यह भी बताया कि इंटरनेशनल रोमिंग जारी रखने के लिए उन्हें 30 से 40 हजार रुपये खर्च करने होंगे. इतने पैसे उनके पास नहीं हैं.
कोर्ट ने लिया बड़ा फैसला
यह देखते हुए कि इस मामले में अभी दोनों पक्षों के बयानों के साथ सुनवाई होनी बाकी है, जस्टिस ने कहा कि कभी-कभी कोर्ट को मानवीय आधार पर हस्तक्षेप करना पड़ता है.
महिला को वापस लाने के निर्देश
जस्टिस राहुल भारती ने कहा, “मानवाधिकार किसी भी इंसान के लिए सबसे पवित्र चीज है और इसलिए कभी-कभी ऐसे मौके आते हैं जब एक अदालत को किसी मामले के गुण-दोषों के बावजूद क्षमादान जैसे इमरजेंसी फैसलों के साथ आना पड़ता है. इस पर केवल समय के साथ ही फैसला लिया जा सकता है. इसलिए यह कोर्ट भारत सरकार के गृह मंत्रालय को निर्देश देता है कि याचिकाकर्ता को उसके डिपोर्टेशन से वापस लाया जाए.”
LTV स्टेटस पर डिपोर्ट करना उचित नहीं’
कोर्ट ने इस बात पर गौर किया कि रक्षंदा राशिद LTV यानी लॉन्ग टर्म वीजा पर भारत में रह रही थीं. ऐसे में उनके एलटीवी स्टेटस को देखते हुए उन्हें डिपोर्ट करना उचित नहीं है. हालांकि, इसमें यह भी कहा गया है कि महिला के मामले की विस्तृत जांच किए बिना और उसके डिपोर्ट किया गया. उचित आदेश दिए बिना उसे भारत से बाहर निकाल दिया गया. इसलिए, कोर्ट ने गृह मंत्रालय को आदेश दिया है कि रक्षंदा राशिद को वापस लाएं.
एक जुलाई तक रक्षंदा को वापस लाना होगा
हाई कोर्ट के आदेश में कहा कि मामले की असाधारण प्रकृति को देखते हुए, भारत सरकार के लिए राशिद को जम्मू में उसके पति शेख जहूर अहमद के साथ फिर से मिलाना आवश्यक था. आदेश को 10 दिनों के भीतर लागू किया जाना चाहिए और अनुपालन रिपोर्ट के लिए 1 जुलाई को मामले की फिर से सुनवाई की जाएगी.
याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट हिमानी खजूरिया ने प्रतिनिधित्व किया, जबकि भारत के उप सॉलिसिटर जनरल विशाल शर्मा भारत संघ की ओर से पेश हुए.