सीजी भास्कर, 24 जून |
सोमवार को बतौली से लगे की सेदम सहकारी समिति में खाद नहीं मिलने से नाराज 11 गांव के किसानों ने 1.30 घंटे तक अंबिकापुर-पत्थलगांव गार्ग जाम कर दिया। इससे दोनों ओर वाहनों की कतार लग गई।
विप्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की। इसके बाद किसी तरह से प्रबंधन ने किसानों को जल्द ही खाद उपलब्ध कराने का आश्वासन देकर चक्काजाम खत्म करवाया। सेदम समिति 11 गांव के किसान सुबह बजे से ही लाइन लगकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। समिति जैसे ही 10 बजे खुली, किसान अपना खाता बुक जमा करने पहुंचे, तभी वहां पता चला कि खाद की मात्रा बहुत ही कम है। इसी बात से नाराज किसानों ने प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी कर समिति से लगे नेशनल हाइवे 43 पर चक्काजाम कर दिया। साथ ही किसानों ने भरपूर खाद देने की मांग शुरू कर दी।
प्रदर्शन कर रहे वासुदेव, शिवकुमार, जोगेंद्र, सोनसाय, विसुनलाल के साथ सैकड़ों किसानों ने कहा कि खाद नहीं मिलने से हमारी खेती पिछड़ रही है। इलाके में पानी भी भरपूर गिरा है, अगर अभी खाद नहीं मिली तो फसल बर्बाद हो जाएगी। चक्काजाम के दौरान दोनों ओर वाहनों की लंबी करार लग गई। मामले की सूचना मिलते ही समिति और प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचे और किसी तरह से किसानों को समझा-बुझाकर जल्द खाद की आपूर्ति करने का आश्वासन दिया और चक्काजाम खुलवाया। किसानों ने चेतावनी दी कि जल्द ही खाद नहीं मिली तो फिर से आंदोलन करेंगे।
चेतावनी-तीन दिन में खाद नहीं मिली फिर करेंगे आंदोलन
खाद लेने समिति पहुंचे किसानों ने बताया कि पिछले 1 महीने से सोसायटी का चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन 23 जून तक एक बोरी खाद समिति ने नहीं दी है। समिति में ही खाद की कमी है। खाद नहीं मिलने से उनकी खेती पीछे हो गई है। हम लोग परेशान हैं। अगर तीन दिन के भीतर समिति में खाद नहीं मिली तो पूरे गांव के लोगों के साथ आंदोलन करेंगे।
फसल के लिए जितनी चाहिए उतनी ही खाद लेने पर अड़े किसान
शाम गहमा-गहमी बता दें कि किसानों को जितनी खाद की जरूरत है, उसकी खाद प्रबंधन आपूर्ति नहीं करा पा रहा है। इससे किसान आक्रोशित है। समिति प्रबंधन किसानों को कम खाद देने की बात कहते रहे, लेकिन किसान अभी भी कम खाद नहीं लेने पर अड़े हैं। इससे समिति में शाम तक गहमा-गहमी का माहौल बना रहा।
जांच के लिए भेजा लैबः तीन दिन पहले ही विकासखंड सीतापुर अंतर्गत आदिम जाति सेवा सहकारी समिति, भूसु में भंडारित यूरिया की गुणवत्ता को लेकर कृषि और राजस्व विभाग की संयुक्त टीम ने जांच की। निरीक्षण के दौरान यूरिया के बोरों पर बैच नंबर और लॉट नंबर अंकित नहीं पाए गए, जिससे उसकी गुणवत्ता पर संदेह हुआ। टीम ने तत्काल युरिया के नमूने इकट्ठा कर जांच के लिए प्रयोगशाला भेजा है।