सीजी भास्कर, 25 जून |
पुणे में हाल ही में नेशनल डिफेंस एकेडमी की पासिंग आउट परेड हुई। इस सैन्य इंस्टीट्यूट में सीना ताने छत्तीसगढ़ के देवेंद्र साहू भी मार्च पास्ट कर रहे थे। पासिंग आउट परेड पुणे के खड़गवासला स्थित NDA परिसर में हुई।
रिटायर्ड सेना प्रमुख जनरल वी के सिंह ने परेड की सलामी ली। उन्होंने कैडेट्स को प्रेसिडेंट्स अवॉर्ड दिए। इसी के साथ भिलाई के देवेंद्र अब भारतीय नौ सेना में लेफ्टिनेंट बन चुके हैं।
5 से 6 घंटे पढ़कर की तैयारी
देवेंद्र ने बताया- 10वीं के बाद मैंने सोच लिया था कि NDA में जाना है। मैंने स्कूल में टॉप किया था, बाकी के साथी जेईई या नीट करने में लगे थे। मैंने पता किया और NDA की जानकारी ली। ऐसा लगा कि मुझे ऑफिस वर्क वाली जिंदगी नहीं चाहिए थी। जो लाइफ स्टाइल फौज देती है वो पंसद आई, तो तैयारी शुरू की।
सीनियर्स ने गाइड किया एनडीए में कि कौन सी सेना को चुना जाए तो नेवी का वर्क कल्चर देखते हुए नेवी को ही अपने विकल्प में चुना। पांच से छ: घंटे की पढ़ाई की। पहले ही अटेंप्ट में कामयाबी मिली।
इंग्लिश कमजोर थी तो मिरर के सामने प्रैक्टिस की
देवेंद्र ने बताया- मेरी स्कूलिंग रिसाली भिलाई CBSE स्कूल से हुई। फौज में सारे काम अंग्रेजी में ही होते हैं, सीनियर्स के साथ अंग्रेजी में बात करना होता है, वो फौज की प्रिफर्ड भाषा है। मेरी इंग्लिश स्ट्रॉन्ग नहीं थी, ग्रामर की गलती करता था। तो इसके लिए मैं अंग्रेजी के अखबार पढ़ता था, मिरर के सामने अंग्रेजी की बुक पढ़ता था।
फेस के एक्सप्रेशन देखता था, किन शब्दों में कैसे बात कर रहा हूं, पता चलता था। मिरर के सामने 15 से 20 मिनट प्रैक्टिस करता था। फोन में अपनी बात रिकॉर्ड करता था, बाद में देखता था तो मिस्टेक पता चलती है। ऐसे मुझे पता चला तो ठीक किया खुद को।
टेबल एटिकेट सीखे
देवेंद्र ने बताया- ऑफिसर के जैसी क्वॉलिटी हमारे अंदर डेवलप की जाती है, वहां नाइफ फोक से खाने का कल्चर है। हमारे घर पर नहीं है। जो खाना है उसे वैसे ही पूरी तहजीब से खाना है। नॉनवेज वेज सब। हमें सीनियर अलॉट होते हैं, वो हमें मेंटॉर करते हैं।
खाने की टेबल पर सीनियर की परमिशन लेकर बैठा जाता है, डायरेक्ट नहीं बैठ सकते। उठते समय भी ऐसा ही करना है। मुझे पता नहीं था हम जाकर बैठ गए, फिर पता चला कि परमिशन लेनी होती है। फोक स्पून से खाना सिखाया गया। वहां मुंह खोलकर नहीं खाना है, क्रॉस टेबल बातें नहीं कर सकते। NDA के बारे में नॉलेज होना जरूरी होती है, पूछने पर बताना होता है वर्ना कई गिलास पानी पीना पड़ता है।
इंटरव्यू में पूछा गया यूक्रेन वॉर का सवाल
देवेंद्र ने बताया- SSB के समय 128 लोग आए थे। मैं प्रेशर में था कि मेरा पहला अटेंप्ट था और सब के सब एक्सपीरियंस वाले थे। प्रेशर लग रहा था, न्यू कमर होने का। शायद मैं पीछे रह जाउंगा। इंटरव्यू अच्छा गया था।
मुझसे यूक्रेन-रशिया वॉर को लेकर पूछा कि मैं किसकी तरफ हूं, मैंने कहा था कि मैं दोनों को सपोर्ट नहीं करता, बार-बार मुझसे कहा गया कि डिप्लोमेटिक आंसर नहीं दे सकते, मैंने अपनी बात पर टिका रहा कि इंडिया जिसे सपोर्ट करेगा मैं उसके साथ हूं।
35 किलोमीटर की रनिंग और तैरना मुश्किल था
फिजिकल ट्रेनिंग को लेकर देवेंद्र ने बताया- ट्रेनिंग के समय अलग-अलग तरह की रन होती है। 30 से 35 किलोमीटर भागकर जाना हाेता है, वो भी दिए गए टास्क को पूरा करते हुए। हमें एक ग्रुप में बांटा जाता है, पूरा ग्रुप कम से कम समय में टास्क को पूरा करे ये देखना होता है।
ऐसा नहीं चलेगा कि कोई एक 35 किलोमीटर तेज भाग जाए, सबको एक साथ पूरा करना है कोई भी पीछे रह गया तो पूरी टीक को नेगेटिव मार्किंग मिलेगी। रायफल और पानी लेकर, करीब 20 से 25 किलो का वेट लेकर दौड़ना होता है। पुणे में खड़गवासला लेक है, उसमें स्विम करना होता है, जब मैं यहां से गया तो उतनी अच्छी तैराकी नहीं आती थी। वहीं सीखी है मैंने, अब तो तैर लेता हूं।
जानिए कैसे ज्वाइन करें NDA
डिफेंस एजुकेशन एक्सपर्ट इंडियन नेवी से रिटायर RK साहू ने बताया- NDA एक ऑफिसर एंट्री होती है। 11th पास बच्चे कोई भी विषय वाले (गणित, विज्ञान, कला, वाणिज्य) जिनकी आयु 16.5 से 18.5 होती है, वो इस एग्जाम को दे सकते हैं। NDA का एग्जाम UPSC द्वारा लिया जाता है।
NDA मे पहले रिटन एग्जाम होता है, फिर 5 दिन का SSB होता है। इसमें मेंटल लेवल पर एग्जाम होता है, फिर मेडिकल टेस्ट होता है। उसके बाद मेरिट लिस्ट बनती है। मेरिट मे नाम आने के बाद सिलेक्शन होता है और फिर ट्रेनिंग के लिए बुलाया जाता है। इस ट्रेनिंग के बाद सेना में अफसर के पद पर ज्वाइनिंग मिलती है।